लखनऊ। केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने के लिए जल्द ही वक्फ अधिनियम में संशोधन का बिल संसद में पेश कर सकती है। इस पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने प्रतिक्रिया दी है। मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, “जहां तक वक्फ का मामला है, हमारे बुजुर्गों ने वक्फ के लिए अपनी प्रॉपर्टी दान की है और इसमें एक इस्लामिक लॉ भी है। जब एक बार वक्फ को जमीन कर दी जाती है तो उसे न बेचा जा सकता है और न ही खरीदा जा सकता है। भारत में 60 फीसदी वक्फ की प्रॉपर्टी में मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान आते हैं।”
मौलाना खालिद रशीद ने कहा, “हमारे देश में वक्फ अधिनियम 1995 हैं, जिसमें 2013 में संशोधन किया गया। इसी के तहत वक्फ प्रॉपर्टी को मैनेज किया जा रहा है। सरकार को वक्फ की प्रॉपर्टी पर मौजूद सरकारी दुकानों पर ध्यान देना चाहिए। इन दुकानों को लेकर हमारी यही मांग रही है कि किराया वक्फ को समय पर मिलना चाहिए। मुझे लगता है कि सरकार एक्ट में जो बदलाव करने जा रही है, उसमें किसी तरह की कोई जरूरत नहीं है।
अगर ऐसा किया जा रहा है तो सभी की राय लेनी चाहिए।” उन्होंने कहा, “हर चीज में पारदर्शिता होनी जरूरी है और वक्फ बोर्ड में कहीं भी पारदर्शिता की कोई कमी नहीं है। इसलिए हमें ऐसा लगता है कि किसी भी नए संशोधन की कोई जरूरत नहीं है। वक्फ की प्रॉपर्टी का रिकॉर्ड होता है। ये बात मुनासिब नहीं है, पहले से जो कानून बने हैं वो वक्फ के लिए काफी है। उन्होंने वक्फ बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी पर भी बात की। उन्होंने कहा, “हमारे यहां महिलाओं की वक्फ बोर्ड में भी नुमाइंदगी है। उत्तर प्रदेश के वक्फ बोर्ड में पहले से दो महिलाएं मौजूद हैं। अगर सरकार एक्ट में संशोधन कर ऐसा करेगी तो ये एक सराहनीय कदम होगा।”