नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को कथित आबकारी नीति घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की और से अलग-अलग दर्ज मुकदमों में जमानत देते हुए कहा कि सुनवाई में देरी तथा लंबे समय तक जेल में रहने के कारण संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के उनके (सिसोदिया) अधिकार पर असर पड़ा है।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि श्री सिसोदिया को त्वरित सुनवाई के उनके अधिकार से वंचित किया गया है। अपराध की गंभीरता के आधार पर इस तरह के अधिकार से इनकार नहीं किया जा सकता है। अनुच्छेद 21 अपराध की प्रकृति से इतर सभी मामलों में लागू होता है।
फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “स्वतंत्रता के मामले में हर दिन मायने रखता है।”
आदेश सुनाए जाने के बाद अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि वह उन पर (आरोपी) दिल्ली सचिवालय नहीं जाने जैसी शर्तें लगाएं।
पीठ ने हालांकि पीठ ने उनकी यह गुहार खारिज कर दी।