Thursday, September 19, 2024

ग़ाज़ियाबाद में हत्या, बुलंदशहर में लाश के टुकड़े किए, धड़-पैर बीबीनगर और सिर-हाथ बाबुगढ़ में फेका 

गाजियाबाद।  प्रेम-प्रसंग में इंटीरियर डिजाइनर की अपहरण कर हत्या करने का मामला सामने आया है। कातिलों ने इंटीरियर डिजाइनर की लाश के छह टुकड़े कर नहर में फेंक दिए। 16 अगस्त को अपहरण कर हत्या की थी। मामले में 17 को गुमशुदगी दर्ज हुई। 24 अगस्त को पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा कर दिया।
मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों के गिरफ्तार किया है। पूछताछ में प्रेम प्रसंग के मामले में हत्या करने की बात सामने आई है। पुलिस ने आरोपियों के पास वारदात में प्रयुक्त फावड़ा, दरांती, दो गद्दे, कार, तरुण की कार बरामद की है। साथ ही बुलंदशहर के औरांगाबाद थाना क्षेत्र से दायां पैर भी बरामद किया है।

 

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डीसीपी नगर राजेश कुमार ने बताया कि बुलंदशहर के बीबीनगर के गांव खरकाली निवासी पवन, वंश और राजनगर एक्सटेंशन की औरा कायमेरा सोसायटी निवासी अंजली को गिरफ्तार किया है। अंजली इसी सोसायटी में हेल्प डेस्क मैनेजर है। मामले में बीबीनगर के चित्तसौना निवासी दीपांशु, लोनी के इंद्रापुरी निवासी अक्षय, जीते, अंकुर, मनोज और अंकित फरार हैं। इनकी तलाश की जा रही है। अक्षय अंजली का बहनोई है। वारदात का मुख्य आरोपी पवन है। पूछताछ में पवन ने हत्या की बात कुबूल की है।

 

पवन पुलिस को बताया है कि वह अंजलि को पसंद करता है। अंजली से तरुण के भी संपर्क थे। तरुण और अंजली की नजदीकियां काफी बढ़ने लगी थीं। इसकी जानकारी उसे हुए तो उसने अंजली से बात करने के बाद तरुण की हत्या की साजिश रची। उसने अंजली के जीजा अक्षय और अपने दोस्तों को भी शामिल किया। अंजली के अक्षय से भी संबंध है। अंजली ने अपने मोबाइल में तरुण का नंबर लड़की के नाम से सेव किया हुआ था। जिससे अक्षय भी नाराज था इसलिए वह भी इस घटना में शामिल हो गया। कॉल करके तरुण को इंटीरियर का काम दिलवाने के लिए 16 अगस्त को कॉल की और मोरटा बुलाया। जहां से वह उसे मधुबन बापूधाम में मनोज के घर ले गए।

 

यहां पहले से पवन, जीते,अंकुर, दीपांशु और अंकित मौजूद थे। घर में ले जाकर सभी ने मिलकर तरुण रस्सी से बांध लिया और उसका गला दबाया। इसके बाद उसकी पिटाई की। दीपांशु ने तरुण के सिर पर डंडा मार दिया जिसके बाद वह बेहोश हो गया और कुछ देर बाद मौत हो गई। अंकुर घर के बाहर खड़ा होकर निगरानी कर रहा था। पवन ने पुलिस को बताया कि तरुण की हत्या के बाद रात में अंधेरा होने पर साजिश के तहत उसकी कार को वंश और दीपांशु ने नेहरूनगर के एक निजी अस्पताल की पार्किंग में खड़ी की। 16 अगस्त की रात 12 बजने के बाद वह पहले शव को बाइक में कुछ दूर लेकर गए और फिर वैगनआर गाड़ी में डालकर बुलंदशहर में शेहरा नहर के पास ले गए। उन्होंने सबूत मिटाने के लिए उसके हाथ पैर अलग किए और फिर फावड़े से गर्दन भी काटने का प्रयास किया। फावड़े से गर्दन नहीं कटने पर दराती से गर्दन काट के अलग कर दी। इसके बाद टुकड़े कर नहर में फेंक दिए।

 

 

डीसीपी  ने बताया कि शुरुआत में कोई सुराग नहीं मिला। जिस नंबर से कॉल आई वह फर्जी आईडी पर निकला। टीमों ने मैन्युअल और सर्विलेंस दोनों पर काम किया। जिस नंबर से तरुण को बुलाने के लिए कॉल की गई।

उसी नंबर की अधिक डिटेल निकालने के बाद पुलिस बुलंदशहर पहुंची। जहां से इस मामले की कड़ियां खुलनी शुरू हुई। जांच के दौरान पुलिस को सीसीटीवी फुटेज से मिले कुछ चेहरे मिले थे। उन सभी का कनेक्शन भी बुलंदशहर से मिलने लगा। इसके बाद एक-एक कर सभी आरोपियों की पहचान हुई।

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