Wednesday, January 15, 2025

MLA करेंगे दलबदल तो नहीं मिलेगी पेंशन, विधानसभा में हुआ प्रस्ताव पास

शिमला- हिमाचल प्रदेश में दलबदल करने वाले विधायक पेंशन के हकदार नहीं होंगे। इतना ही नहीं ऐसे विधायकों से पहले से ली गई पेंशन की रकम भी वसूली जाएगी। प्रदेश की सुक्खू सरकार ने इस संबंध में हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक-2024 को बुधवार को सदन में पारित कर दिया।


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस संशोधन विधेयक को पिछले मंगलवार (तीन सितंबर) को सदन में पेश किया। इसके पारित होने पर अब इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने पर यह कानून बन जाएगा। ऐसा करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है।


श्री सुक्खू ने संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि भविष्य में पार्टी से कोई धोखा न करें इसके लिए यह संशोधन विधेयक लाया है। उन्होंने कहा कि राजनीति में ईमानदारी व नैतिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिद्धांत और नियम हमेशा रहते हैं लेकिन कुर्सी और सत्ता नहीं रहती। उन्होंने विपक्ष से कहा कि जिन्होंने हमें धोखा दिया है, वह आपको भी धोखा दे सकते हैं।


वहीं विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने सत्तापक्ष के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह संशोधन विधेयक राजनीतिक द्वेष की भावना से लाया गया है। विपक्ष ने इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इस संशोधन विधेयक को राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से लाया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सभा वोटिंग में भाजपा की सदस्यता कांग्रेस विधायकों ने नहीं ली। व्हिप की अवहेलना पर कार्रवाई विधान सभा अध्यक्ष ने की। इसके बाद अयोग्य करार दिए गए विधायक भाजपा के सदस्य बने। इसलिए वे संविधान के शेड्यूल दस की परिधि में नहीं आते।


भाजपा विधायक राकेश जमवाल ने कहा कि संशोधन विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए। वहीं एक अन्य विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि इस संशोधन विधेयक को बदले की भावना से लाया गया है और मुख्यमंत्री राज्यसभा चुनाव के घटनाक्रम का बदला लेना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इसे वापिस ले। इस संशोधन विधेयक के कानून बनने पर फरवरी महीने में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद बजट पारण के दौरान पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करने पर बर्खास्त किये गए छह पूर्व विधायकों की पेंशन पर ब्रेक लगेगी।


इस संशोधन विधेयक में की गई सिफारिशों के लागू होने के बाद दो पूर्व विधायकों गगरेट से चौतन्य शर्मा और कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो की पेंशन बंद हो जाएगी, क्योंकि ये दोनों पहली बार विधायक बने थे। वहीं चार अन्य पूर्व विधायकों धर्मशाला से सुधीर शर्मा, सुजानपुर से राजेंद्र राणा, बड़सर से इंद्र दत्त लखनपाल, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर की इस टर्म की पेंशन रुक जाएगी।

खास बात यह है कि इस प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, जिन्हें संविधान के शेड्यूल-10 के हिसाब से अयोग्य घोषित किया गया है। उनसे 14वीं विधानसभा के कार्यकाल की पेंशन व भत्तों की रिकवरी भी की जा सकती है।


गौरतलब है कि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान वित्त विधेयक को पास करने के दौरान सत्ता पक्ष के छह सदस्य सदन से गैरहाजिर रहे थे और उन्होंने पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था। इस आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान के प्रस्ताव पर इन छह सदस्यों के खिलाफ सदस्यता से अयोग्य घोषित किए जाने का फैसला सुनाया था। कांग्रेस के छह बागी विधायकों में चौतन्य शर्मा और देवेंद्र भुट्टो पहली बार विधायक बने थे।


इन छह विधायकों की सीटों पर उप चुनाव भी हो चुके हैं। क्रॉस वोट करने वाले सभी पूर्व विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। इनमें चार विधायक जो दिसंबर 2022 में पांच साल के लिए चुन कर आए थे, उन्हें उप चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। सुधीर शर्मा और इंद्रदत्त लखनपाल ही फिर से चुनाव जीतकर वर्तमान में विधायक हैं। हिमाचल प्रदेश में जो नेता एक बार विधायक बन जाता है, उसे लगभग 93000 रुपए पेंशन मिलती है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,735FansLike
5,484FollowersFollow
140,071SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!