चेन्नई, – केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार शाम कहा कि कराधान प्रणाली से करदाताओं को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
राजस्व बार एसोसिएशन द्वारा ‘वित्त मंत्री की अंतर्दृष्टि: आगे की रास्ता’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में सीतारमण ने कहा कि जब केंद्र और राज्य दोनों विकासात्मक गतिविधियों और कर आधार बढ़ाने के लिए मिलकर काम करते हैं तो इससे करदाताओं को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
जीएसटी पर केंद्र और राज्यों के बीच मतभेद और अप्रसन्नता के विपक्ष के बयानों को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए सीतारमण ने कहा कि अगर आप ऐसी कराधान प्रणाली चाहते हैं जहां करदाताओं को बिना किसी परेशानी के राजस्व सृजन हो तो संघीय ढांचे का सम्मान करना चाहिए और इसे एक साथ लिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट पर सभी परामर्श बैठकों के दौरान राजस्व बढ़ाने के बजाय करदाताओं के अनुपालन को सरल और आसान बनाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
सुश्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि “आप सोच सकते हैं कि मैं सच नहीं बोल रही हूं। मैं जो कड़वी सच्चाई आपके सामने रखना चाहती हूं। हां, हम राजस्व बढ़ाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई परामर्शों के दौरान, राजस्व बढ़ाने पर अंतिम चर्चा हुई। लेकिन, सरलीकरण , करदाताओं के लिए सहजता और अनुपालन सबसे पहले आया।”
उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी आम लोगों पर बोझ नहीं है और एक सर्वेक्षण के अनुसार उद्योग जगत के अधिकांश उत्तरदाताओं ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद ने दरों में कटौती और इसे तर्कसंगत बनाने के लिए मंत्रियों के समूह (जीओएम) का गठन किया है। उन्होंने कहा कि नौ सितंबर को जीएसटी की बैठक में यह समझने की शुरुआत की जाएगी कि जीओएम ने अब तक क्या किया है और हम कहां खड़े हैं और वहां से चर्चा को आगे बढ़ाया जाएगा।
सुश्री सीतारमण ने यह कहते हुए कि बैठक में दरों में कटौती को अंतिम रूप नहीं दिया जाएगा, कहा कि जीओएम ने जो कहा है उस पर गौर किया जाएगा जिसके बाद चर्चा शुरू होगी।