Sunday, November 24, 2024

मुज़फ्फरनगर की इकरा कुरैशी बनी ‘डबल गोल्ड मेडलिस्ट टॉपर’,बोली -लक्ष्य निर्धारित कर सपनों को करें साकार

मुजफ्फरनगर। फिल्म दंगल का एक डॉयलॉग बहुत मशहूर हुआ था ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के, इस डायलॉग महिलाओं को सशक्त बनाने और लैंगिक समानता में एक कदम आगे बढ़ाने की सोच को प्रोत्साहन देती है, इसी दौरान हमारे जनपद की बेटी इकरा कुरैशी को एलएलबी में यूनिवर्सिटी टॉप करने पर राज्यपाल व मां शाकुंभरी यूनिवर्सिटी के कुलपति द्वारा अलग-अलग गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया।

एलएलबी में यूनिवर्सिटी को टॉप कर अपने जनपद व राज्य का नाम रोशन करने वाली इकरा कुरैशी के परिवार में खुशी का माहौल छाया हुआ हैं। इकरा कुरैशी ने शहर के आर्य समाज रोड स्थित डीएवी महाविद्यालय से एलएलबी की शिक्षा ग्रहणकर मां शाकुंभरी यूनिवर्सिटी टॉप कर सबसे पहले अपनी छाप छोडने में महारथ हासिल की। इकरा द्वारा हासिल किये गये, इस मुकाम से परिवार के साथ साथ समूचे खालापार में व यूनिवर्सिटी में वाहवाही का शौर थमने का नाम नहीं ले रहा हैं।

गुरूवार को समाजसेवी व बिल्डर आरिफ कुरैशी की बहन गोल्ड मेडलिस्ट इकरा कुरैशी के परिवार द्वारा मीडिया सैंटर के पत्रकारों से वार्ता कर सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी खुशी का इजहार किया। पत्रकारों से रूबरू होते हुए एलएलबी की ‘डबल गोल्ड मेडलिस्ट इकरा कुरैशी ने बताया कि किसी भी बच्चे को हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने बताया कि किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए यदि आप फेलयर भी साबित हुए, तो बिना किसी संकोच के फिर से कोशिश में लग जाना चाहिए, क्योंकि कोई भी लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं होता और मन में ठान ली तो कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं होता।

इकरा कुरैशी ने सोशल मीडिया के माध्यम से सभी छात्र छात्राओं से अनुरोध किया कि सभी को अपना लक्ष्य बनाकर रखना चाहिए, क्योंकि लक्ष्य बनाने के बाद उसको हासिल करने का जो जुनून सर पर सवार होता हैं, बस वही आपकी कामयाबी का सही रास्ता बनाता हैं। इकरा कुरैशी ने खास लडकियों के लिए एक मैसेज दिया हैं कि कोई भी लडकी यह मत सोचे की उसको कोई कामयाबी नहीं मिल पायेगी या फिर घर के काम काज का बहाना लगाकर अपने लक्ष्य को दरकिनार न किया जाये। उन्होंने कहा कि लक्ष्य हासिल करने के लिए केवल अपना सेड्यूल बनाकर रखे और उस सैड्यूल को फॉलोअप करें बस इतना ही काफी हैं, बडे से बडे लक्ष्य को आसान बनाना। पत्रकार वार्ता में इस दौरान हाजी भूरा कुरैशी, आरिफ कुरैशी, आमिर कुरैशी, अहमद कुरैशी, राकिब कुरैशी, कासिफ कुरैशी, हमजा कुरैशी, नबील कुरैशी, उजैफ कुरैशी एवं अकदस कुरैशी आदि मौजूद रहे। पापा व भाई से इंस्पायर हो सर पर सवार हुआ जज बनने का जुनून, इकरा कुरैशी ने बताया कि जब वह छोटी थी तो अपने पापा व भाई को कोर्ट में जाते हुए देखती थी।

पापा हाजी भूरा कुरैशी व भाई आरिफ कुरैशी से इंस्पायर होकर ही इस प्रोफेशन में जज बनने का जुनून सर पर सवार हो गया है। उन्होंने बताया कि अपना सपना साकार करने के लिए लक्ष्य निर्धारित कर सपने को साकार करने के लिए तैयारी शुरू की गई है और आज अपने सपने को साकार करने की पहली सीढी पार कर ली है। इकरा कुरैशी ने अपनी स्कूलिंग और डिग्री शहर के अजमर कन्या इंटर कॉलेज से पूरी की।

इकरा कुरैशी को मिला परिवार का साथ- इकरा कुरैशी के इस मुकाम पर पहुचने के सपने को साकार कराने के लिए परिवार को भरपूर साथ मिला और स्कूलिंग से लेकर एलएलबी तक किसी भी तरह की कोई बंदिश लागू नही की गई। इकरा कुरैशी ने अपने परिवार को अपनी कामयाबी का असली हीरो बताते हुए कहा कि सभी को अपने बच्चों को पढाई लिखाई करने के लिए पूरी तरह से छूट दे देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चे के अंदर क्या टैलेंट छिपा हैं और क्या नहीं ये कोई पता नहीं लगा सकता। उन्होंने अपने परिवार को सपोर्ट करने एवं बंदिशों से दूर रखने के लिए आभार व्यक्त किया।

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