मुजफ्फरनगर। जिले में फिर एक बार चर्चा में आया मुस्लिम होटल डाबों पर नेम प्लेट विवाद के बाद हिंदू बस्ती में मुस्लिम द्वारा मकान खरीदने का मामला चर्चाओं में चला आ रहा, तो वही मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन के सामने प्राचीन मस्जिद की जमीन को लेकर विवाद खड़ा होने लगा। हिंदूवादी नेता संजय अरोड़ा द्वारा उठाए गए मामले के बाद लखनऊ से आई टीम ने इसका सर्वे किया।
जिसमें मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन के कई अधिकारी भी मौजूद रहे। इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर मस्जिद की इस भूमि को शत्रु संपत्ति घोषित किए जाने की तैयारी की जा रही है। कथित विवादित मस्जिद की भूमि आज भी पत्रावलियों में रुस्तम अली के नाम पर अंकित हैं पत्रावलियों में भूमि स्वामी के नाम के सामने रुस्तम अली स्पष्ट रूप से लिखा है जबकि दूसरे कॉलम में मस्जिद लिखा हुआ है।
अब आपको यह बताते है कि रुस्तम अली कौन थे
दरअसल रुस्तम अली कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तान के सबसे पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली के पिता थे, विभाजन के दौरान लियाकत अली पाकिस्तान जाकर वहां के प्रथम प्रधानमंत्री बने थे। मस्जिद से जुड़े लोगों का कहना है कि रुस्तम अली भले ही पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाकत अली के पिता रहे हो लेकिन वह पैदा मुजफ्फरनगर में हुए और यहीं पर मरे भी। ऐसी स्थिति में यह शत्रु संपत्ति कैसे हुई, बरहाल इस पूरे मुद्दे पर लगातार चर्चाएं पिछले कई दिनों से जोरो पर चल रही है लेकिन हिंदूवादी नेता संजय अरोरा लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं। और उनका साफ तौर से यही कहना है कि रेलवे स्टेशन के सामने इस प्राचीन मस्जिद की जमीन एक तरह से सरकारी संपत्ति से जुड़ा मामला है इसलिए इस जमीन को शत्रु संपत्ति घोषित किया जाए। फिलहाल मस्जिद निर्माण के कार्यों को भी इस विवाद के दौरान रोक दिया गया था। अब देखने वाली बात होगी इस पूरे मामले में प्रशासन के द्वारा जांच के बाद अग्रिम कानूनी कार्यवाही क्या होती है।
राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के हिंदूवादी नेता संजय अरोरा का साफ कहना है कि हमारे संगठन द्वारा ईस तरह लैंड जिहाद की जमीन को खोजी है 1947 मे विभाजन के दौरान रुस्तम अली पाकिस्तान चले गए थे तब से इस जमीन पर कब्जा बनाकर मस्जिद का निर्माण करने का प्रयास किया गया था हमारी मांग है कि इस शत्रु संपत्ति घोषित कर ध्वस्तिकरण करना चाहिए।