सहारनपुर। राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेता राव कैसर सलीम ने कहा कि बिजनौर से सांसद चुने जाने के बाद रालोद नेता चंदन चौहान द्वारा रिक्त की गई मीरापुर विधान सभा सीट पर 13 नवंबर को होनेे वाले उप चुनाव में उनकी पार्टी ही जीत दर्ज करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी के प्रभाव वाले इस बडे क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं को लगता है कि सांसद चंदन चौहान की पत्नी यशिका चौहान को चौधरी साहब उम्मीदवार बनाते है तो उनकी जीत कोई नहीं रोक पाएगा। चाहे विपक्षी दल कितना भी जोर क्यों न लगा ले। कार्यकर्ताओं की इच्छा भी है और मांग भी है कि यशिका चौहान का प्रत्याशी के रूप में चयन किया जाए।
भाजपा के समर्थन के साथ-साथ जाट, गुर्जर मतदाताओें को साधना चंदन चौहान के लिए आसान है। मुस्लिम और दलितों में भी उनके परिवार की सदैव पैठ रही है। ध्यान रहे तीन लाख 23 हजार मतदाताओं वाली मीरापुर सीट पर सबसे ज्यादा 36 फीसद मुस्लिम और 18 फीसद दलित मतदाता है। आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष एवं नगीना के सांसद चंद्रशेखर ने आज यहां ऐलान किया कि उनकी पार्टी मीरापुर में अकेले चुनाव लडेगी। उनकी ओर से पूर्व में मोहम्मद जाहिद को उम्मीदवार घोषित किया गया था।
बसपा सुप्रीमों मायावती भी कह चुकी है कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव लडेगी। बसपा के एक नेता ने संभावना जताई कि बसपा मीरापुर के विधान सभा प्रभारी शाहनजर को उम्मीदवार बना सकती है। भाजपा ने जहां मीरापुर सीट अपने गठबंधन सहयोगी रालोद के लिए छोड दी है वहीं अभी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को यह तय करना बाकी है कि वह यहां अपना प्रत्याशी उतारेंगे अथवा कांग्रेस को मौका देंगे। कांग्रेस के खाते में सीट जाने की हालत में पूर्व सांसद सईदुज्जमां के बेटे टिकट के सशक्त दावेदार होंगें। आज के बदले हालात में मीरापुर सीट किसी के लिए भी जीतना आसान नहीं होगा। जातीय समीकरणों और ताजे सियासी रूझान के बावजूद उपयुक्त प्रत्याशी का चयन ही निर्णायक रहेंगा।
ऐसे में दोनो प्रमुख गठबंधन दल के नेताओं के लिए प्रत्याशी चयन महत्वपूर्ण होगा। रालोद प्रमुख जयंत चौधरी मीरापुर में भाजपा-रालोद गठबंधन की नांव पार लगा सकते है। बशर्तें उनके उम्मीदवार की क्षेत्र में साख,विश्वसनीयता एवं लोकप्रियता हो। अखिलेश यादव के लिए भी सीट जीतना प्रतिष्ठापूर्ण होगा। वह भी पूरा जोर लगाएंगे और ऐसे उम्मीदवार का चयन करेंगे जो जयंत चौधरी के साथ-साथ चंदन चौहान को कडी चुनौती पेश कर सके। बहराल दल नहीं प्रत्याशी का चयन महत्वपूर्ण और निर्णायक होगा।