Monday, December 23, 2024

CM स्टालिन ने कहा- गैर हिंदी राज्यों में हिंदी माह मनाना,भाषाओं का अपमान,हर जगह हिंदी भाषा को थोप रही मोदी सरकार

नई दिल्ली। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने दूरदर्शन केंद्र चेन्नई के हिंदी माह समापन समारोह पर अपनी निंदा व्यक्त की है, जिसमें तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। उन्होंने समारोह में केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में आवाज उठाई और इसे विरोध प्रदर्शन के रूप में दिखाया गया।

 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने हिंदी माह के समापन समारोह को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, खासकर इसे चेन्नई जैसे गैर-हिंदी भाषी राज्य में मनाने के संदर्भ में। उन्होंने इस कदम को बहुभाषी भारत में अन्य भाषाओं, खासकर तमिल जैसी क्षेत्रीय भाषाओं को नीचा दिखाने का प्रयास बताया।

 

स्टालिन ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा, “मैं चेन्नई दूरदर्शन के स्वर्ण जयंती समारोह के साथ हिंदी माह समापन समारोह मनाने की निंदा करता हूं।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का संविधान किसी भी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं देता है, और हिंदी का जबरन थोपना केंद्र सरकार की असंवैधानिक नीति का हिस्सा है।

इस मुद्दे पर स्टालिन और डीएमके पार्टी ने केंद्र की भाषाई नीतियों के खिलाफ खुलकर विरोध जताया, यह कहते हुए कि यह तमिलनाडु जैसे राज्यों की भाषाई विविधता का अनादर है।

 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र सरकार की हिंदी-केंद्रित नीतियों पर अपना विरोध जारी रखते हुए कहा कि गैर-हिंदी भाषी राज्यों में ऐसे हिंदी-केंद्रित आयोजनों से बचना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि इसके बजाय उन राज्यों में स्थानीय भाषाओं का सम्मान करते हुए स्थानीय भाषा माह के आयोजन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

 

इस संदर्भ में, डीएमके की छात्र इकाई के सदस्य चेन्नई के दूरदर्शन तमिल कार्यालय के सामने जमा हुए और विरोध प्रदर्शन किया, जहां राज्यपाल आर एन रवि ने हिंदी माह के समापन समारोह में भाग लिया था। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार की भाषाई नीतियों का विरोध करते हुए इसे तमिलनाडु जैसे राज्यों की क्षेत्रीय भाषाओं पर हिंदी थोपने का प्रयास बताया।

 

डीएमके छात्र इकाई के अध्यक्ष आर राजीव गांधी ने कहा कि बीजेपी नीत सरकार लगातार गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने के प्रयास में लगी हुई है. उन्होंने बाद में कहा, ‘‘यह निंदनीय है. डीएमके और राज्य के अधिकतर राजनीतिक दल तमिलनाडु पर हिंदी थोपने के कदम का विरोध कर रहे हैं, लेकिन, केंद्र केवल आग में घी डालने का काम कर रहा है.’’

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने राज्यपाल आर.एन. रवि की आलोचना करते हुए कहा कि अगर उन्हें अपने पद पर बने रहना है, तो उन्हें विभाजनकारी ताकतों से खुद को अलग करना होगा और संविधान के अनुरूप अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। स्टालिन ने राज्यपाल पर द्रविड़ जाति की नकारात्मक छवि पेश करने का आरोप लगाया और कहा कि राजभवन को किसी राजनीतिक पार्टी का कार्यालय बनने से बचना चाहिए।

स्टालिन ने यह भी कहा कि राज्यपाल को संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करना चाहिए और राज्य के हित में काम करना चाहिए, न कि किसी विशेष राजनीतिक विचारधारा को बढ़ावा देना चाहिए। उनका यह बयान केंद्र और राज्यपाल के बीच तनावपूर्ण संबंधों की ओर संकेत करता है, जहां राज्यपाल द्वारा किए गए कुछ कदमों को राज्य सरकार की नीतियों और द्रविड़ आंदोलन के आदर्शों के खिलाफ माना गया है।

 

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोप रही है। उन्होंने सवाल किया कि अगर केंद्र का तमिल भाषा और संस्कृति के प्रति वास्तविक लगाव है, तो फिर तमिल के प्रसिद्ध ग्रंथ तिरुक्कुरल को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने में क्या बाधा है।

मुख्यमंत्री ने इस सवाल के जरिए केंद्र की नीतियों पर सीधा निशाना साधा, यह इंगित करते हुए कि तमिल संस्कृति और भाषा की प्रशंसा केवल भाषणों में न होकर वास्तविक कार्यों में दिखनी चाहिए। स्टालिन का यह बयान तमिल भाषा के महत्व और उसे राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने की मांग को केंद्रित करता है, जो तमिलनाडु में अक्सर एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है।

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