बीजिंग। चीन ने मंगलवार को भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पेट्रोलिंग व्यवस्था को लेकर नई दिल्ली और बीजिंग के बीच हुए समझौते की पुष्टि की। समझौते पर बीजिंग की पुष्टि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 16वें ब्रिक्स नेताओं की बैठक में भाग लेने के लिए कजान रवाना होने के ठीक बाद आई। इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाग ले रहे हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने मंगलवार को कहा, “पिछले कुछ हफ्तों से चीन और भारत कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से चीन-भारत सीमा से संबंधित मुद्दों पर निकट संपर्क में हैं। अब दोनों पक्ष प्रासंगिक मामलों पर एक समाधान पर पहुंच गए हैं, जिसकी चीन बहुत प्रशंसा करता है। चीन इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेगा।” इससे पहले सोमवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी लगभग ऐसा ही बयान जारी किया।
उन्होंने नई दिल्ली में कहा, “पिछले कई हफ्तों में, भारतीय और चीनी राजनयिक और सैन्य वार्ताकार विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे के साथ निकट संपर्क में हैं। इन चर्चाओं की वजह से भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पेट्रोलिंग व्यवस्था पर सहमति बनी है, जिससे 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पन्न हुए मुद्दों का समाधान हो गया है। हम इस पर अब अगले कदम उठाएंगे।” भारतीय विदेश सचिव ने ब्रिक्स बैठक के दौरान कजान में दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय चर्चा की किसी संभावना की न तो पुष्टि की और न ही खंडन किया। चीन में भारत के राजदूत रहे मिसरी ने कहा, ‘यह एक बहुपक्षीय आयोजन है, हालांकि, हमेशा द्विपक्षीय बैठकों का प्रावधान होता है।
द्विपक्षीय बैठकों के लिए कई अनुरोध हैं और हम आपको द्विपक्षीय बैठकों के बारे में जल्द से जल्द अपडेट करेंगे।” इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पेट्रोलिंग व्यवस्था को लेकर हुए भारत-चीन समझौते को ‘सकारात्मक कदम’ बताया। हालांकि उन्होंने परिणामों के बारे में बहुत जल्दी अनुमान न लगाने की सलाह दी। एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि यह समझौता, उस शांति और सौहार्द का आधार तैयार करता है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में होना चाहिए और जो 2020 से पहले मौजूद भी था। पिछले कुछ वर्षों से द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के लिए भारत की यही प्रमुख चिंता रही है।
जयशंकर ने कहा, “हमने हमेशा यह माना है कि एक तरफ, हमें स्पष्ट रूप से जवाबी तैनाती करनी थी…लेकिन, साथ ही, हम सितंबर 2020 से बातचीत भी कर रहे हैं। यह एक बहुत ही धैर्यपूर्ण प्रक्रिया रही है, शायद यह जितनी हो सकती थी उससे कहीं अधिक जटिल प्रक्रिया थी। तथ्य यह है कि यदि हम, पेट्रोलिंग करने और एलएसी की पवित्रता का पालन करने को लेकर एक समझ बना पाते हैं, तो, मुझे लगता है, उस शांति का आधार बनेगा जो सीमा क्षेत्रों में होना चाहिए और 2020 से पहले वहां मौजूद थी।” विदेश मंत्री ने सावधानी बरतने और परिणामों के बारे में बहुत जल्दी अनुमान न लगाने की सलाह दी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि समझौता अभी हुआ है और अगले कदमों की योजना बनाने के लिए चर्चा और बैठकें होंगी। विदेश मंत्री ने कहा, “हम पड़ोसी हैं और हमारे बीच सीमा विवाद अभी तक सुलझा नहीं है। वे बढ़ रहे हैं और हम भी बढ़ रहे हैं।’ पूर्वी लद्दाख में 2020 में हुई हिंसक सीमा झड़पों के बाद भारत और चीन के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए और चीनी पीएलए के 20 से अधिक सैनिक मारे गए।