नई दिल्ली। शेयर बाजार में शुक्रवार को जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई, जिसने दिवाली से पहले निवेशकों की उम्मीदों को झटका दिया। इस दिन सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट आई, जिससे चंद घंटों में निवेशकों के 10 लाख करोड़ रुपये डूब गए।
अक्टूबर का महीना पहले से ही बाजार के लिए कमजोर साबित हो रहा था, और शुक्रवार की गिरावट ने इस स्थिति को और गंभीर बना दिया। मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स पर गिरावट का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला। निफ्टी मिडकैप इंडेक्स दिन के उच्चतम स्तर से 1300 अंक लुढ़क गया, जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स 400 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ।
बाजार खुलने के एक घंटे के भीतर ही निवेशकों के करीब 6 लाख करोड़ रुपये डूब चुके थे, और दोपहर तक यह नुकसान 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस स्थिति ने निवेशकों के मन में चिंता बढ़ा दी है और वे बाजार की भविष्यवाणी को लेकर अनिश्चितता महसूस कर रहे हैं।
शेयर बाजार में गिरावट के पीछे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FII) की ओर से लगातार बिकवाली एक प्रमुख कारण बनी है। अक्टूबर के महीने में अब तक एफआईआई ने भारतीय शेयर बाजार से 97,113 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले हैं। शुक्रवार की गिरावट के बाद यह आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचने की संभावना है, जो कोविड महामारी के बाद का सबसे बड़ा मासिक नुकसान होगा।
इस गिरावट ने निवेशकों को सावधानी बरतने का संकेत दिया है। बाजार में अस्थिरता के इस दौर में विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि भावनाओं में बहकर जल्दबाजी में फैसले लेने से बचें। मुनाफावसूली की प्रवृत्ति और एफआईआई की बिकवाली के चलते बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को लंबी अवधि के दृष्टिकोण से सोचते हुए अपने पोर्टफोलियो का पुनरावलोकन करना चाहिए और सतर्क रहना चाहिए।
शेयर बाजार में हालिया गिरावट अक्टूबर के कमजोर प्रदर्शन की एक कड़ी है, जिसमें निवेशकों को लगातार नुकसान उठाना पड़ा है। बीएसई पर लिस्टेड स्टॉक्स का मार्केट कैप 444 लाख करोड़ रुपये से घटकर 434 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है, जिससे इस महीने की अस्थिरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
बाजार की मौजूदा स्थिति निवेशकों के लिए एक चेतावनी है कि सही समय पर निवेश और मुनाफावसूली का महत्व कितना बड़ा होता है। इस तरह की गिरावट से यह सबक मिलता है कि बाजार में सतर्कता और धैर्य बनाए रखना बेहद जरूरी है।
आने वाले दिनों में निवेशकों को बाजार की चाल पर पैनी नजर रखनी होगी और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार ही फैसले लेने चाहिए। बाजार की अस्थिरता के बीच, सही रणनीति अपनाना और भावनाओं पर नियंत्रण रखना आवश्यक है, ताकि भविष्य में होने वाले नुकसान से बचा जा सके।