गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के जिला कोर्ट में मंगलवार को पुलिस ने वकीलों पर लाठीचार्ज किया। इस घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि 30 से 35 पुलिसकर्मी कोर्ट रूम में वकीलों पर लाठीचार्ज कर रहे हैं। इस लाठीचार्ज में कई वकील चोटिल भी हो गए। इस घटना के बाद कोर्ट में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच तनाव बढ़ गया है।
इस मामले में कवि नगर थाने में दो रिपोर्ट दर्ज कराई गई है जिसमे कुछ नामजद समेत 40-50 वकीलों को आरोपी बनाया गया है।
दिल्ली से सटे गजियाबाद की जिला काेर्ट में मंगलवार को एक जमानत के मामले में अधिवक्ता व जिला जज के बीच जमकर बहस हो गयी। जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ। भारी हंगामे के बीच पुलिस के पहुंचने पर मामला और ज्यादा बढ़ गया। जिसके बाद पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा, जिससे कई वकील घायल हो गए।पश्चिमी उत्तर प्रदेश अधिवक्ता एसोसिएशन ने पुलिसकर्मियाें के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
बताया गया कि जिला जज अनिल कुमार की काेर्ट में मंगलवार सुबह एक जमानत अर्जी ट्रांसफर करने की मांग पर जिला जज अनिल कुमार और पूर्व बार अध्यक्ष नाहर सिंह यादव के बीच बहस हो गई। इसके बाद जिला जज डायस से नीचे आ गए।
आरोप है कि कहासुनी के बाद जिला जज से बदसलूकी की गई। भारी हंगामे के बीच कोर्ट रूम में पुलिस को बुलाना पड़ा। वकीलों ने हंगामे के दौरान कामकाज बंद कर दिया। सूचना मिलते ही ग्राउंड फ्लोर पर तैनात पीएसी के जवान भी
गाजियाबाद कोर्ट परिसर विवादः पुलिस ने कहा- मामला बेहद संवेदनशील, निष्पक्ष जांच के बाद होगी कार्रवाई
पहुंच गए और जमकर लाठी चार्ज किया। इसी दौरान कचहरी में भगदड़ मच गई, जिसके बाद वकीलों ने जिला न्यायालय में नारेबाजी शुरू कर दी।
इसी बीच पुलिस चौकी में आग लगने की सूचना से अफरा-तफरी का माहौल बन गया। वकीलों का आरोप है कि जिला जज कोर्ट रूम में उन्हें चारों तरफ से दरवाजे बंद करके पीटा गया, जिसमें बड़ी संख्या में अधिवक्ता गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
इस घटना पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश अधिवक्ता एसोसिएशन ने नाराजगी व्यक्त की है। इसके साथ ही लाठीचार्ज के दोषी अधिकारियों और पुलिस कर्मियों के विरोध दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो पुलिस प्रशासन के विरुद्ध प्रखर आंदोलन किया जाएगा। इसी बीच एसोसिएशन ने इस संबंध में एक बैठक भी बुलाई है।
इस घटना के संबंध में सामने आए वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ पुलिसकर्मी कोर्ट रूम में कुर्सियां से वकीलों पर हमला करते हुए नजर आ रहे हैं।कई वकील अपनी जान बचाने के लिए भागते हुए भी दिख रहे हैं।
इसी बीच देर शाम जिला जज एवं अधिवक्ता के बीच विवाद के बाद हुए घटनाक्रम को लेकर कवि नगर थाने में दो रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इनमें एक रिपोर्ट न्यायालय के केंद्रीय नाजिर संजीव गुप्ता ने जबकि दूसरी रिपोर्ट न्यायालय चौकी प्रभारी संजय सिंह ने दर्ज कराई है। रिपोर्ट में वकीलों पर न्यायिक कार्य में बाधा डालने, न्यायालय परिसर में तोड़फोड़ करने, पुलिस पर पथराव करने और पुलिस चौकी में आग लगाने का आरोप लगाया गया है।
केंद्रीय नाजिर संजीव गुप्ता ने दर्ज कराई रिपोर्ट में कहा है कि जिला जज के न्यायालय में अधिवक्ता नाहर सिंह यादव उनके पुत्र अभिषेक यादव तथा एक अन्य अधिवक्ता दिनेश यादव और 40- 50 अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य में बाधा पहुंचाई। इतना ही नहीं इन तत्वों ने डीएफएमडी मशीन को तोड़ डाला। सीसीटीवी कैमरे भी तोड़ दिए। सर्वर मशीन भी तोड़ दी।
दूसरी ओर चौकी इंचार्ज संजय सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ड्यूटी के दौरान उन्हें पता लगा कि जिला सत्र न्यायालय में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हंगामा कर रहे हैं। सूचना पर वह तुरंत न्यायालय पहुंचे। जहां पर 40-50 अधिवक्ता हंगामा कर रहे थे और कुर्सियां तोड़ रहे थे। उन्होंने इसकी सूचना अन्य अधिकारियों को दी और भारी मात्रा में पुलिस फोर्स भी आ गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान अधिवक्ताओं ने पुलिस चौकी पर तोड़फोड़ की और आग लगा दी। न्यायालय परिसर में सीसीटीवी कैमरे,डीएफएमडी को तोड़ डाला। पुलिस उप निरीक्षक राजेश कुमार भी सिर में चोट लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए। इस दौरान न्यायालय परिसर में अफरा तफरी का माहौल रहा। वादकारी भी बदहवास स्थिति में घूमते रहे।
इसी बीच यूपी बार कौंसिल ने मंगलवार को गाजियाबाद कचेहरी में वकीलों पर पुलिस के बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज पर विरोध जताया है और प्रकरण की निष्पक्ष व पारदर्शी जांच के लिए विशेष जांच समिति गठित की है।
कौंसिल के अध्यक्ष शिवकिशोर गौड़ ने बताया कि विशेष जांच समिति में रोहिताश्व कुमार अग्रवाल, मधुसूदन त्रिपाठी, अरुण कुमार त्रिपाठी, अजय यादव एवं प्रशांत सिंह अटल को शामिल किया गया है। साथ ही समिति से अपेक्षा की है कि वह अविलम्ब गाजियाबाद जाकर प्रकरण की जांच कर अपनी आख्या बार कौंसिल में प्रस्तुत करें।
शिव किशोर गौड़ ने कहा कि जिला जज ने उच्च न्यायालय को सूचित किए बगैर या यूपी बार कौंसिल को संज्ञान में लिए बिना पुलिस व रैपिड एक्शन फोर्स बुलाकर अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज कराया है। बार कौंसिल इस कृत्य पर अपना विरोध दर्ज कराती है। उन्होंने कहा कि दोषी अधिकारी चाहे वह पुलिस- प्रशासनिक अधिकारी हो या न्यायिक अधिकारी हो, बक्शे नहीं जाएंगे। बार कौंसिल इनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की मांग करती है।
कौंसिल ने उच्च न्यायालय से ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध जांच कर सख्त कार्यवाही करने और न्यायालय परिसर से पुलिस को तत्काल हटाए जाने की मांग की है। साथ ही प्रकरण पर 30 अक्टूबर को शाम चार बजे आपात बैठक आहूत की है, जिसमें अग्रिम कार्यवाही पर निर्णय लिया जाएगा।