किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पहले उसे क्रियान्वित करने के लिए पहले विचार मन में उठते हैं और मस्तिष्क उसका निर्णय लेकर लक्ष्य निर्धारित करता है। सूत्रधार मस्तिष्क है इसलिए लक्ष्य की सफलता के लिए उस लक्ष्य के प्रति समर्पण और मन मस्तिष्क की एकाग्रता सबसे महत्वपूर्ण है।
हम अपने रूचिकर विषयों जैसे संगीत, सिनेमा, टी.वी. तथा खेल का आनन्द घंटों एकाग्रचित होकर लेते हैं। परीक्षा में तीन घंटे कब बीत गये पता ही नहीं चलता। ऐसी ही एकाग्रता और समर्पण हमें लक्ष्य की पूर्णता के लिए भी आवश्यक है, परन्तु अरूचिकर विषयों पर विचार करने में हम कुछ समय पश्चात ही उब जाते हैं।
हमें अपने कार्यालय सम्बन्धी, व्यापार सम्बन्धी, अपने अन्य व्यावसायिक कार्यों तथा विद्याध्ययन में समर्पित एकाग्रता की आवश्यकता है। एकाग्रता न हो तो बुद्धि उचित रूप से अपना कार्य नहीं कर पाती, कोई अवरोध पैदा हो जाये तो उसके समाधान हेतु निर्णय लेना कठिन हो जाता है और हम लक्ष्य से भटक जाते हैं, जिसके कारण असफल हो जाते हैं।