लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को भारतीय संविधान को अंगीकृत किए जाने की 75वीं वर्षगांठ पर नवीन आपराधिक कानूनों के तहत न्याय प्रक्रिया में फॉरेंसिक विज्ञान एवं साइबर सिक्योरिटी की भूमिका विषयक राष्ट्रीय कांफ्रेंस (26-27 नवंबर) के शुभारंभ पर कई बातों का जिक्र किया। सीएम योगी ने फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट में नए ऑडिटोरियम का उद्घाटन भी किया। साथ ही बच्चों को विभिन्न कोर्सेज के सर्टिफिकेट प्रदान किए।
सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से देश में एक जुलाई से तीन नए कानून लागू किए गए। यह तीन कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं। इन सभी का भाव आपराधिक संहिता और दंड संहिता नहीं है, बल्कि न्याय संहिता है। यह नागरिक सुरक्षा की संहिता है। इसके तहत पहले साक्ष्य जुटाए जाएंगे, उसके बाद अपराधी को कटघरे में खड़ा किया जाएगा। सुशासन की पहली शर्त कानून का राज स्थापित करना होता है। पिछले साढ़े सात वर्षों से प्रदेश में कानून का राज दृढ़ता से स्थापित है। देश-विदेश में प्रदेश के कानून के राज की चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 26 नवंबर 1949 की तिथि स्वतंत्र भारत के इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण तिथि है।
भारत माता के सपूत बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बनाए संविधान को 75 वर्ष पहले भारत ने अंगीकार किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर 2015 से इस तिथि को पूरे देश में ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने का आह्वन किया। सीएम योगी ने कहा कि टेक्नोलॉजी के प्रयोग से विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं। लेकिन, कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल कर लोगों को आर्थिक चोट पहुंचा रहे हैं। ऐसे में साइबर फ्रॉड्स और डिजिटल अरेस्ट जैसी घटनाओं को रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का सकारात्मक इस्तेमाल करना होगा। सकारात्मक सोच के लोग टेक्नोलॉजी से भागेंगे तो नकारात्मक लोग उस पर हावी होंगे। ऐसे में हमें उन्हें हावी नहीं होने देना है। साइबर फ्राड्स से निपटने के लिए पहले चरण में प्रदेश के 18 रेंज में साइबर थानों की स्थापना की गई है। इसके बाद 75 जनपद में स्थापना की गई।
आज प्रदेश के सभी 1,775 थानों पर एक-एक साइबर हेल्प डेस्क संचालित हैं। इसी के तहत प्रदेश में पहला उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज की स्थापना की गई। सीएम योगी ने कहा कि इंस्टीट्यूट की जमीन पर प्रदेश के एक अंधकार युग (सपा सरकार) में दुर्दांत भूमाफिया ने कब्जा कर लिया था। ऐसे में भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई कर जमीन को खाली कराया गया। आज उसी जमीन पर भव्य इंस्टीट्यूट खड़ा है, जहां विभिन्न पाठ्यक्रमों की पढ़ाई हो रही है। वर्ष 2017 से पहले उत्तर प्रदेश की स्थिति क्या थी, यह किसी से छुपी नहीं है। प्रदेश के नौजवानों के सामने पहचान का संकट था। कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त थी। उस दौरान गुंडागर्दी चरम पर थी। शरीफ व्यक्ति सड़कों पर नहीं आ सकता था। वह घर से बाहर आने में डरता था। दुर्दांत अपराधी और माफिया स्वच्छंद होकर समानांतर सरकारें चलाते थे।
उन्होंने कहा कि उस समय का दुष्परिणाम यह था कि प्रदेश के नौजवानों और नागरिकों के सामने पहचान का संकट खड़ा हो गया। आज प्रदेश दंगा मुक्त, गुंडा मुक्त और माफिया मुक्त है। सरकार ने पिछले साढ़े सात वर्षों में पुलिस में खाली पदों पर बड़े पैमाने पर भर्ती की है। इस दौरान 1,54,000 से अधिक पुलिस कार्मिकों की भर्ती पारदर्शी तरीके से की गई। हाल ही में 60,200 पुलिस कार्मिकों की नई भर्ती की प्रक्रिया संचालित है, जिसका रिजल्ट भी आ गया है। कार्यक्रम में विधायक राजेश्वर सिंह, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, डीजीपी प्रशांत कुमार, अपर मुख्य सचिव गृह दीपक कुमार, एडीजी जीके गोस्वामी आदि उपस्थित थे।