Wednesday, January 8, 2025

अनमोल वचन

जैसे जंगल में शिकार को देखकर शेरनी शिकार की ओर तीव्र गति से बढ़ती है, वैसे ही मृत्युलोक में शरीर रूपी शिकार पर मृत्युरूपी शेरनी तीव्र गति से आक्रमण करती रहती है। जैसे काठ में लगा हुआ घुन भीतर ही भीतर काष्ठ को खाता जाता है और बाहर से काष्ठ ठीक दिखाई देता है, वैसे ही शरीर रूपी काष्ठ को काल रूपी कीड़ा क्षण-क्षण खाता जाता है अर्थात शरीर को निर्बल करता रहता है और शरीर मृत्यु की ओर बढ़ता रहता है।

 

वैसे गुड की डली को मक्खियों का समूह चारों ओर से घेरकर रखता है और उसे खाता रहता है। इसी प्रकार नाना प्रकार के रोग इस शरीर को घेर कर रखते हैं और धीरे-धीरे शरीर को चाट जाते हैं। किसी को नहीं पता कि उसका कब बुलावा आ जाये, कब मृत्यु रूपी शेरनी अपना निवाला बना लें।

 

मृत्यु बहुत निर्दयी है वह न बाल को देखती है न युवा को न वृद्ध को। वह नहीं देखती कि किसी के परिवार की क्या परिस्थितियां हैं। उसके उत्तरदायित्व पूरे हुए हैं या नहीं। इसलिए अपने सांसारिक कर्तव्यों को पूरा करते हुए उस प्रभु का स्मरण और धन्यवाद भी करते रहे, जिसने आपको संसार की सर्वश्रेष्ठ कर्म योनि प्रदान की है तथा इस लोक के साथ इह लोक संवारने की भी सोचे अन्यथा मृत्यु समय पछताना पड़ेगा और उस समय आप कुछ नहीं कर पाओगे।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,684FansLike
5,481FollowersFollow
137,217SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!