इंदौर। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा भारत को दी गई फालोअप रेटिंग के बाद यूरेशियन समूह (ईएजी) के अन्य देश अपनी रेटिंग बेहतर करने के लिए भारत की ओर देख रहे हैं। एफएटीएफ ने ईरान को ब्लैकलिस्ट कर रखा है। ऐसे में इंदौर में आयोजित यूरेशियन समूह की बैठक में आब्जर्वर के रूप में पहुंचे ईरान के प्रतिनिधि ने ईएजी के साथ भारत से भी अपने देश को एफएटीएफ की ब्लैकलिस्ट से बाहर निकालने के लिए सहयोग मांगा है। इसके लिए भारत की ओर से तकनीकी सहयोग का आश्वासन दिया गया है।
भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव एवं भारतीय प्रतिनिधि संघ के प्रमुख विवेक अग्रवाल ने मंगलवार को बताया कि इस संबंध में ईरान के प्रतिनिधियों की भारतीय दल के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी हो चुकी है। भारत ईएजी के फ्रेमवर्क में रहते हुए तकनीकी रूप से ईरान का सहयोग करेगा। पाकिस्तान द्वारा जो सरहद पार आतंकी गतिविधियां संचालित की जा रही है, उसका मुद्दा भी ईएजी की बैठक में उठाया जाएगा। उन्होंने बताया कि ईएजी समूह में शामिल देशों ने हमारी बेहतर रैंकिंग पर तारीफ की है। ये देश चाहते हैं कि भारत के तकनीकी विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में वे भी अपनी कैटेगरी को बेहतर कर सकें।
यूपीआई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट कर रहा है भारत
दरय़असल, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में चल रही यूरेशियन समूह (ईएजी) ग्रुप प्लेनरी और वर्किंग ग्रुप बैठक के दूसरे दिन मंगलवार को आतंकवाद की फंडिंग रोकने, मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर अपराधों पर रोक लगाने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। भारतीय प्रतिनिधि संघ के प्रमुख विवेक अग्रवाल ने बताया कि भारत यूपीआई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट कर रहा है। सिंगापुर और दुबई में यूपीआई का विस्तार हुआ है। फॉरेन करेंसी को कम करने के लिए यूपीआई का बड़ा रोल हो सकता है। भारत सरकार इसके लिए प्रयासरत है।
उन्होंने बताया कि भारत में डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर जो बना है, वह विश्व में एक उदाहरण है। इससे साइबर क्राइम कंट्रोल करने में भी मदद मिलेगा। इसमें भारत का रोल विश्व में अग्रणी है। आने वाले समय में डिजिटल पेमेंट और फिन टेक का जबरदस्त ग्रोथ होग। फिन टेक के जरिए क्राइम की आशंका न हो। यह एक बड़ा चैलेंज है। इसके लिए क्या रेगुलेटरी सिस्टम होना चाहिए और क्या कंप्लायंस सिस्टम है, इसके लिए एक सेशन बुधवार को रखा गया है। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और टेररिस्ट फंडिंग को रोकने के लिए गहन चर्चा होगी।
गेमिंग एप को भी किया जाएगा नियंत्रित
विवेक अग्रवाल ने बताया कि अब हमारी टीम लगातार गेमिंग एप पर काम कर रही है। चार कर रहे हैं कि इसे कैसे रेगुलेट कर नियंत्रित करें। इस संबंध में केस स्टडी करवाई जा रही है। गेमिंग एप के साथ वालेट भी जुड़ा है। इसके माध्यम से धोखेबाजी व मनी लांड्रिंग जैसे पहलू सामने आते हैं। केस स्टडी के माध्यम से यह पता करने का प्रयास किया जा रहा है कि गेमिंग एप के वो कौन से पहलू हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं। इसके माध्यम से हम सरकार को सुझाव देंगे कि किस तरह गेमिंग एप को रेगुलेट कर नियंत्रित किया जाए। गेमिंग एप नए विकास की तरह है, जिस पर रोक नहीं लगा सकते हैं, लेकिन देश में उसे व्यवस्थित किए जाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि इनसे संबंधित अपराध न हो सकें।