लखनऊ। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई हिंसा को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने इसे सोची-समझी साजिश करार देते हुए कहा कि इस घटना का मकसद जिले के हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को खत्म करना था।
सपा प्रमुख ने संसद में अपनी बात रखते हुए कहा:”संभल में हिंदू और मुसलमान हजारों साल से भाईचारे के साथ रह रहे हैं। यह घटना जानबूझकर उपचुनाव के दौरान ध्यान भटकाने और समाज में बंटवारा करने के लिए की गई।”
अखिलेश यादव ने हिंसा को लेकर पुलिस और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि पथराव की छोटी घटना पर पुलिस ने गोलीबारी कर दी, जिसमें कई लोग घायल हुए और पांच निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई। सपा नेता ने कहा कि सीओ ने स्थानीय लोगों के साथ गाली-गलौज की और माहौल को और खराब किया। कहा कि यह मामला “दिल्ली और लखनऊ के बीच की साजिश” का हिस्सा है, जिसमें लखनऊ की ताकत दिल्ली तक अपनी पकड़ बनाना चाहती है।
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अखिलेश यादव ने प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने और उन्हें निलंबित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हिंसा में पुलिस की भूमिका की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
सपा प्रमुख ने जोर देकर कहा कि यह हिंसा हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ने का प्रयास था। उन्होंने कहा कि संभल का समाज हमेशा से शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण रहा है, लेकिन अब इसे साजिश के तहत निशाना बनाया जा रहा है।
अखिलेश यादव ने हिंसा को उपचुनावों से जोड़ते हुए कहा कि यह सब राज्य की राजनीतिक स्थिति को भटकाने और समाज में विभाजन लाने के लिए किया गया।
सपा ने हिंसा के पीड़ितों के परिवारों के लिए न्याय की मांग की। पुलिस प्रशासन के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग के साथ, अखिलेश ने इस मुद्दे को सड़कों और सदन दोनों में उठाने का ऐलान किया।
संभल की हिंसा पर यह बयान राज्य में विपक्ष और सरकार के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है, क्योंकि यह न केवल प्रशासनिक बल्कि राजनीतिक मोर्चे पर भी गंभीर सवाल उठाता है।