कोलकाता। ‘बांग्लादेश का बंगाल, बिहार और ओडिशा पर अधिकार है’ वाले बयान पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि ‘आपको क्या लगता है, आप हमारी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे तो हम लोग लॉलीपॉप खाते रहेंगे?’ उनके इस बयान पर पश्चिम बंगाल भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने मंगलवार को प्रतिक्रिया दी।
भाजपा नेता ने आईएएनएस से कहा, ”बांग्लादेश का धमकी का कोई मतलब ही नहीं है, भारत चाहे तो अपनी सेना भेजकर बांग्लादेश पर एक दिन में कब्जा कर ले। इसलिए बांग्लादेश की कौन सी पार्टी का नेता क्या बोल रहा है, इसका कोई मतलब नहीं है। लेकिन फिर भी मैं ममता बनर्जी की बात का समर्थन करता हूं, लेकिन उनकी पार्टी के फिरहाद हकीम ने, सिद्धिकुल्ला चौधरी ने, मुर्शिदाबाद के विधायक ने जिस तरह की बातें कही हैं, ऐसी बातें सांप्रदायिकता फैलाने का काम कर रही हैं। मैं ममता बनर्जी से कहना चाहता हूं कि वह पार्टी नेताओं को ऐसे बयान देने से रोकें।” ‘इंडिया’ ब्लॉक में नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान पर राहुल सिन्हा ने कहा, ”महाराष्ट्र चुनाव के बाद कोई इंडी एलायंस है ही नहीं। वे लोग आपस में बिखर गए और झगड़ा शुरू हो गया। कांग्रेस और कांग्रेस के साथी एक तरफ आ गए और गैर-कांग्रेस पार्टियां एक तरफ तरफ चली गईं। इन लोगों का झगड़ा जितना होगा राष्ट्र के लिए उतना लाभ होगा। इस जोड़ को तोड़ना चाहिए, इस जोड़ को समाप्त होना चाहिए क्योंकि यह ‘खिचड़ी’ हमारे राष्ट्र और जनता के लिए हानिकारक है।
लालू कुछ बोलेंगे, ममता कुछ बोलेंगी, कांग्रेस कुछ बोलेगी और ऐसे ही ये लोग बिखर जाएंगे। थोड़ा-बहुत जो बचेगा वह आपस में लड़कर समाप्त हो जाएगा।” हुमायूं कबीर के मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद वाले बयान पर उन्होंने कहा, ”हुमायूं कबीर अपनी पार्टी से भी अलग हो गया है। एक तरह से उनको पार्टी से निकाल ही दिया गया है। वह जहां पर विधायक थे, उसी जगह पर लोगों ने उनका पुतला जलाया, जूतों से मारा। उनकी पार्टी के लोग ही उनको महत्व नहीं देते हैं तो बाकी कौन महत्व देगा। अब हुमायूं कबीर देख रहा है कि पार्टी में भी उनका कोई महत्व नहीं है, इसलिए वह ऐसी बयानबाजी करके लाइमलाइट में आने चाहते हैं। “वन नेशन, वन इलेक्शन” से जुड़े विधेयक जल्द संसद में पेश हो सकते हैं।
इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राहुल ने कहा, ” ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ होना बहुत जरूरी है, नहीं तो देश हर वक्त इलेक्शन पर मोटा पैसा खर्च होने की समस्या से जूझता रहेगा। एक ही बार चुनाव हो जाएगा तो विकास करने के लिए पूरे पांच साल मिल जाएंगे। इसलिए एक राष्ट्र, एक चुनाव का मोदी जी का फैसला काफी उत्तम है और मैं समझता हूं कि सभी राजनीतिक दल भी इसमें सहमत होंगे और देश को इतने बड़े खर्चे से बचाएंगे।