नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा के सीमावर्ती क्षेत्रों में किसानों का आंदोलन शनिवार को नई दिल्ली मार्च के आह्वान के साथ और तेज हो गया। शंभू बॉर्डर से 101 किसानों का जत्था दिल्ली कूच करने निकला, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेडिंग, आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया।
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किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी और अन्य मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। आंदोलन 307वें दिन में प्रवेश कर चुका है। किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेता सरवन सिंह पंढेर ने केंद्र सरकार को वार्ता की मांग को लेकर घेरा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर चुप्पी साधने और आंदोलन को बदनाम करने के प्रयासों का आरोप लगाया।
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किसानों के विरोध को देखते हुए, हरियाणा सरकार ने अंबाला जिले के 12 गांवों में इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं 17 दिसंबर तक निलंबित कर दीं। प्रभावित गांवों में डंगडेहरी, लेहगढ़, मानकपुर, ददियाना, बड़ी घेल, छोटी घेल, ल्हारसा, कालू माजरा, देवी नगर, सद्दोपुर, सुल्तानपुर और काकरू शामिल हैं। प्रशासन ने इस कदम को शांति और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी बताया।
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किसानों ने प्रशासन पर उनके अधिकारों का दमन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आंदोलन को कमजोर करने की कोशिशें जारी हैं। सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि“सरकारी एजेंसियां हमें बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन किसान अपने अधिकारों और मांगों पर अडिग हैं।”
सरकार की तरफ से अब तक किसानों की प्रमुख मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। हालांकि, पुलिस ने स्पष्ट किया कि शांति बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
दिल्ली कूच के आह्वान के बाद बॉर्डर पर भारी सुरक्षा तैनात की गई है। किसानों और प्रशासन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज होने की संभावना है।