Thursday, December 19, 2024

खड़गे जी को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत -अमित शाह

नयी दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर आज आरोप लगाया कि वह बाबा साहेब अंबेडकर को लेकर राज्यसभा में उनके बयान को तोड़मरोड़ कर पेश कर रही है लेकिन देश की जनता अच्छी तरह से जान चुकी है कि कांग्रेस हमेशा से डॉ. अंबेडकर, आरक्षण, सावरकर, पिछड़े वर्ग की विरोधी रही है और उसने संविधान को मनमाफिक तोड़ामरोड़ा है।

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शाह ने भाजपा के मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आरोपों के जवाब देते हुए यह भी कहा कि खड़गे का दायित्व बनता है कि वे डाॅ. अंबेडकर के बारे में सच बोलें क्योंकि वह उसी वर्ग से आते हैं जिनके कल्याण के लिए बाबा साहेब प्रतिबद्ध थे। उन्होंने कहा, “मैं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जी से भी ये कहना चाहता हूं कि आपको कांग्रेस के इस कुत्सित प्रयास का समर्थन नहीं करना चाहिए था। मुझे बहुत दुख है कि राहुल गांधी के दबाव में आप भी इसमें शामिल हो गए हैं।… मुझे लगता है कि खड़गे जी को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है।”

 

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इस हाई प्रोफाइल संवाददाता सम्मेलन में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केन्द्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा, अश्विनी वैष्णव, पीयूष गोयल, किरन रिजीजू भी मौजूद थे।

 

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गृह मंत्री ने कहा, “मैं उस पार्टी से आता हूं तो कभी भी बाबा साहेब का अपमान नहीं कर सकती है।” उन्होंने कहा, “राज्यसभा में मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयानों को संपादित करके सार्वजनिक किया था। जब चुनाव चल रहे थे तो मेरे बयान को एआई का उपयोग करके संपादित किया गया था। और आज वे मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस के नेता उनके भाषण के तथ्यों को चुनौती देते तो अच्छा लगता लेकिन इस तरह से भाषण को संपादित करके गलत अर्थ निकाल कर रखना गलत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इरादे के बारे में विस्तार में नहीं जाएंगे लेकिन जनता अच्छी तरह से सच्चाई जान गयी है और जनता उनकी बातों को अब मानती नहीं है।

 

 

शाह ने कहा, “मैं मीडिया से भी अनुरोध करना चाहता हूं कि वह मेरा पूरा बयान जनता के सामने रखें और नीर क्षीर करने में मदद करें। मैं उस पार्टी से हूं जो अंबेडकर जी का कभी अपमान नहीं कर सकती। पहले जनसंघ और फिर भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा अंबेडकर जी के सिद्धांतों पर चलने का प्रयास किया है। जब भी भारतीय जनता पार्टी सत्ता में रही, हमने अंबेडकर जी के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार किया है। भारतीय जनता पार्टी ने आरक्षण को मजबूत करने का काम किया है। हम कांग्रेस के इस कुत्सित प्रयास की घोर निंदा करते हैं।”

खड़गे द्वारा शाह का इस्तीफा मांगे जाने के बारे में उन्होंने कहा, “खड़गे जी, मेरा इस्तीफा मांग रहे हैं। मैं इस्तीफा दे भी दूं तो उससे कुछ नहीं होगा। आपको वहां (विपक्ष में) अभी 15 साल और बैठना है। मेरा इस्तीफा लेने से भी आपकी दाल नहीं गलने वाली नहीं है।” उन्होंने संसद में संविधान लहराने वाले कांग्रेस नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा, “लहराने वाला संविधान खोखला है। जनता के सामने एक झूठ बार बार नहीं चलता है।”

उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि देश के संविधान को समावेशी बनाने में, दलितों, आदिवासियों, वंचितों, गरीबों को न्याय दिलाने में और देश में लोकतंत्र की नींव को गहरा करने में बाबा साहेब का बहुत बड़ा योगदान है। पूरा देश बाबा साहेब के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है।”

इससे पहले शाह ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि विगत सप्ताह में संसद में लोकसभा और राज्यसभा में संविधान को स्वीकार किए हुए 75 साल के मौके पर संविधान की रचना, संविधान निर्माताओं के योगदान और संविधान में प्रस्थापित किए गए आदर्शों पर एक गौरवमयी चर्चा का आयोजन हुआ। इस चर्चा में 75 साल की देश की गौरव यात्रा, विकास यात्रा और उपलब्धियों की भी चर्चा होनी थी।

उन्होंने कहा कि ये तो स्वाभाविक है कि जब लोकसभा और राज्यसभा में पक्ष-विपक्ष होते हैं, तो हर मुद्दे पर लोगों का, दलों का और वक्ताओं का नजरिया अलग-अलग होता है। मगर संसद जैसे देश के सर्वोच्च लोकतांत्रिक मंच में जब चर्चा होती है, तब इसमें एक बात आम होती है कि बात तथ्य और सत्य के आधार पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “कल से कांग्रेस ने जिस तरह से तथ्यों को तोड़-मरोड़कर रखने का प्रयास किया है, ये अत्यंत निंदनीय है और मैं इसकी निंदा करना चाहता हूं। ये इसलिए हुआ क्योंकि भाजपा के वक्ताओं ने संविधान पर, संविधान की रचना के मूल्यों पर और जब-जब कांग्रेस या भाजपा का शासन रहा, तब शासन ने संविधान के मूल्यों का किस तरह से मूल्यांकन, संरक्षण और संवर्धन किया, इस पर तथ्यों और अनेक उदाहरण के साथ भाजपा के वक्ताओं ने विषय रखे।”

उन्होंने कहा कि संसदीय चर्चा के दौरान यह प्रदर्शित हुआ कि कांग्रेस डॉ. भीमराव अंबेडकर के विरोध में थी। उनके निधन के बाद कांग्रेस ने उन्हें हाशिये पर डालने का प्रयास किया। जब संविधान समिति ने अपना काम पूरा कर लिया और 1951-52 और 1955 में चुनाव हुए, तो कांग्रेस ने उन्हें चुनाव में हराने के लिए विशेषतौर पर कई उपाय किए।

गृह मंत्री ने कहा कि जब तक कांग्रेस सत्ता में रही बाबा साहेब अंबेडकर का कोई स्मारक नहीं बना। जहां-जहां विपक्ष की सरकारें आती गईं, स्मारक बनते गए। भाजपा की सरकारों ने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने बाबा साहेब के जीवन से संबंधित पंचतीर्थ का विकास किया, मध्य प्रदेश में महू, लंदन में बाब साहेब के स्मारक, नागपुर में दीक्षाभूमि, दिल्ली में राष्ट्रीय स्मारक और महाराष्ट्र के मुंबई में चैत्यभूमि का विकास करने का काम भाजपा की सरकारों ने किया।

उन्होंने कहा कि जहां तक भारत रत्न देने का सवाल है, कांग्रेस के नेताओं ने कई बार खुद ही अपने आप को भारत रत्न दिए हैं। 1955 में नेहरू जी ने खुद को भारत रत्न दे दिया, 1971 में इंदिरा जी ने खुद को भारत रत्न दे दिया। लेकिन बाबा साहेब को भारत रत्न 1990 में तब मिला जब कांग्रेस सत्ता में नहीं थी और भाजपा के समर्थन वाली सरकार थी। 1990 तक कांग्रेस बाबा साहेब को भारत रत्न न मिले, इसके लिए प्रयास करती रही। यहां तक कि बाबा साहेब की 100वीं जयंती को मनाने की मनाही कर दी गई।

शाह ने कहा कि कल से कांग्रेस ने फिर एक बार अपनी पुरानी पद्धति को अपनाकर, बातों को तोड़-मरोड़कर और सत्य को असत्य के कपड़े पहनाकर समाज में भ्रांति फैलाने का एक कुत्सित प्रयास किया है। संसद में चर्चा के दौरान ये सिद्ध हो गया कि बाबा साहेब अंबेडकर का कांग्रेस ने किस तरह से पुरजोर विरोध किया था। बाबा साहेब के न रहने के बाद भी किस प्रकार से कांग्रेस ने उन्हें हाशिये पर धकेलने का प्रयास किया।

गृह मंत्री ने कहा कि इससे तय हो गया कि कांग्रेस अंबेडकर विरोधी, आरक्षण विरोधी और संविधान विरोधी पार्टी है। कांग्रेस ने सावरकर जी का भी अपमान किया, कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर संविधान के सारे मूल्यों की धज्जियां उड़ा दी, नारी सम्मान को भी वर्षों तक दरकिनार किया, न्यायपालिका का हमेशा अपमान किया, सेना के शहीदों का अपमान किया और भारत की भूमि तक को संविधान तोड़कर दूसरे देशों को देने की हिमाकत कांग्रेस के शासन में हुई।

एक सवाल के जवाब में श्री शाह ने कहा कि संसद के अंदर की गतिविधियों के बारे में बाहर नहीं कहा जा सकता है। भाजपा के विधिक प्रकोष्ठ में इस बात की संभावना देखी जाएगी कि कहीं कोई विधिक कार्यवाही की जा सकती है या नहीं।

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