मुजफ्फरनगर: मंसूरपुर में आज एक बैठक का आयोजन किया गया। दो दिन पूर्व, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान एक मंदिर के मामले को लेकर मंसूरपुर थाने पहुंचे थे, जहां उनकी पुलिस के साथ नोंकझोंक हुई थी। इसके बाद शासन ने उनकी सुरक्षा हटा दी, जिससे जाट समाज के लोगों में काफी रोष है।
मंसूरपुर के लक्ष्मी नारायण मंदिर की भूमि को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब 1 जनवरी को इस पर दीवार बनाने का काम किया गया। यह भूमि 1960 में मंदिर और धर्मशाला के निर्माण के लिए ग्रामवासियों द्वारा दी गई थी। ग्राम प्रधान राजीव धनगर ने बताया कि यह भूमि मंदिर और सनातन धर्मशाला के नाम पर पंजीकृत है। हाल ही में, एक स्थानीय व्यक्ति ने इस जमीन पर अपना दावा प्रस्तुत किया, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। इसी के चलते मंसूरपुर थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई।
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विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने मौके पर पहुंचकर हिंदू समाज के पक्ष में बात की। मंसूरपुर में 19 जनवरी को जाट समाज द्वारा महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। यह बैठक केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान की सुरक्षा हटाने के विरोध में आयोजित की जा रही है।
विशाल चौधरी ने बताया कि मंसूरपुर के लक्ष्मी नारायण मंदिर की जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। 1960 में यह जमीन मंदिर और धर्मशाला के नाम पर आरक्षित की गई थी। हाल ही में एक दीवार के निर्माण को लेकर विवाद शुरू हुआ। ग्राम प्रधान राजीव धनगर ने कहा कि यह जमीन मंदिर और सनातन धर्मशाला के नाम पर है। ग्रामवासियों ने इसे मंदिर निर्माण और सामाजिक उपयोग के लिए दान किया था। हालांकि, कुछ व्यक्तियों ने इस जमीन पर कब्जे का प्रयास किया है।
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महापंचायत में बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। जाट समाज के नेता और अन्य समुदायों के लोग इस बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि मंदिर की जमीन को धार्मिक और सामाजिक उपयोग के लिए आरक्षित रखा जाए और डॉ. संजीव बालियान की सुरक्षा वापस दी जाए। यह फैसला प्रशासन का दबाव दिखाता है, जो आम जनता के हितों के खिलाफ है।
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डॉ. संजीव बालियान ने विवाद के दौरान मंदिर पक्ष का समर्थन किया और ग्राम प्रधान के खिलाफ दर्ज एफआईआर का विरोध किया। उन्होंने इसे धार्मिक और सामाजिक हित से जुड़ा मामला बताया। हालांकि, इस घटना के बाद प्रशासन ने उनकी सुरक्षा हटा दी, जिससे जाट समाज में नाराजगी फैल गई।