Friday, January 17, 2025

आस्था, मनोरंजन और रोजगार का संगम बना खिचड़ी मेला

गोरखपुर। नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर में आयोजित खिचड़ी मेला आस्था, मनोरंजन और रोजगार का संगम बन गया है। यहां बाबा गोरखनाथ का दर्शन कर खिचड़ी चढ़ाने के बाद श्रद्धालु मेले में मनोरंजन कर जरूरी सामानों की खूब खरीदारी कर रहे हैं। मेले में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी अधिक है कि यहां दुकान लगाने वालों का रोजगार-कारोबार उनकी आर्थिकी में अभूतपूर्व वृद्धि कर रहा है। मकर संक्रांति के दिन मंगलवार को गोरखनाथ मंदिर में 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं का आगमन हुआ। बुधवार और गुरुवार को भी समूचा मेला परिसर श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भरा रहा। खिचड़ी मेला महाशिवरात्रि तक जारी रहेगा। गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में यहां श्रद्धालुओं से लेकर कारोबारियों तक के लिए सुरक्षा, सुविधा और सहूलियत के विशेष प्रबंध किए गए हैं।

गोरखनाथ मंदिर में इस साल मकर संक्रांति के दिन उमड़ा आस्था का जनसैलाब अभूतपूर्व रहा। इस पावन पर्व पर पंद्रह लाख से अधिक श्रद्धालुओं का मंदिर आना हुआ। श्रद्धा का उफान ऐसा था कि भोर से लेकर शाम तक गोरखनाथ मंदिर आने वाले दो प्रमुख मार्गों (धर्मशाला से और बरगदवा से) पर कुल मिलाकर करीब तीन किलोमीटर तक श्रद्धालुओं की कतार नहीं टूटी। यह कतार लंबाई में तो थी ही, चौड़ाई में भी पूरे सड़क को कवर किए हुए थी। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी मेले के दुकानदारों की आर्थिकी में आकाशीय समृद्धि हुई। अनुमान लगाया जा रहा है कि खिचड़ी मेले के दौरान मकर संक्रांति पर प्रति श्रद्धालु द्वारा प्रसाद, फूलमाला, मनोरंजन, नाश्ता और जरूरी सामानों की खरीदारी पर औसतन 300 रुपये ही खर्च किए गए हों तो गुरु गोरखनाथ के प्रति उमड़ी श्रद्धा ने एक दिन में ही 45 करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधियों को गति दी।

मेला प्रबंधक शिव शंकर उपाध्याय बताते हैं कि खिचड़ी मेले में आने वाले दुकानदारों का कारोबार प्रतिवर्ष बहुत ही अच्छा होता है और इस बार इसमें और भी अप्रत्याशित वृद्धि होती दिख रही है। मेले में करीब छह सौ दुकानें सजी हैं। दुकान लगाने वाले 90 प्रतिशत कारोबारी प्रदेश के अन्य जिलों या अन्य राज्यों से हैं। यहां राजस्थान, दिल्ली कोलकाता के अलावा प्रदेश के मुरादाबाद, सहारनपुर, इटावा, बुलंदशहर आदि जिलों से बड़ी संख्या में कारोबारियों ने दुकानें लगाई हैं। इस बार आस्था का जन ज्वार देखकर सभी बेहद प्रफुल्लित हैं। मंदिर परिसर में डेढ़-दो माह तक लगने वाला खिचड़ी मेला भी जाति-धर्म के बंटवारे से इतर बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका का माध्यम बना हुआ है। मंदिर परिसर में नियमित रोजगार करने वालों से लेकर मेला में दुकान लगाने वालों तक, बड़ी भागीदारी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की है।

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