लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के विभाजन को लेकर चल रही चर्चाओं पर पूर्ण विराम लगाते हुए साफ कर दिया है कि उत्तर प्रदेश का बंटवारा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उत्तर प्रदेश का एकजुट रहना न केवल इसकी पहचान है, बल्कि इसकी सबसे बड़ी शक्ति भी है।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक निजी टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, “उत्तर प्रदेश की असली शक्ति इसकी एकता में है। प्रदेश और देश का समग्र विकास तभी संभव है जब उत्तर प्रदेश एकजुट रहे।” उन्होंने कहा कि लंबे समय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने के लिए आंदोलन चलते रहे हैं, लेकिन प्रदेश के विकास के लिए इसे विभाजित करना आवश्यक नहीं है।
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मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा प्रदेश है और इसका हर नागरिक अपनी संस्कृति और सभ्यता पर गर्व करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एकता के बल पर ही उत्तर प्रदेश विकास की राह में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग प्रदेश बनाने की मांग करीब तीन दशक पुरानी है। विभिन्न संगठनों और नेताओं ने इस दिशा में कई प्रयास किए हैं। राष्ट्रीय लोक दल के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय चौधरी अजीत सिंह ने इसे “हरित प्रदेश” बनाने का संकल्प लिया था, लेकिन उनका आंदोलन विफल रहा।
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी प्रदेश को तीन भागों में बांटने का प्रस्ताव विधानसभा में पास किया था। यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था, लेकिन उसे वापस कर दिया गया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के रुख को स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि न तो केंद्र सरकार और न ही प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश के बंटवारे के पक्ष में है।
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद, प्रदेश के विभाजन को लेकर चल रही तमाम चर्चाओं पर विराम लगने की संभावना है। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि इस मुद्दे पर नई राजनीतिक गतिविधियां तेज हो सकती हैं।
योगी आदित्यनाथ के इस बयान से यह साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ सरकार और भाजपा नेतृत्व प्रदेश को विभाजित करने की मांग को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। यह स्टैंड आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।