Saturday, April 19, 2025

अनमोल वचन

आंखे किसकी प्रेरणा से देखती है, कान किसी इच्छानुसार सुनते हैं। यह प्रश्र उपस्थित करते हुए जिज्ञासु अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए विचार करता है कि क्या आंखों में देखने की तथा कानों में सुनने की स्वतंत्र शक्ति है। निश्चित ही इसका उत्तर ना में ही होगा।

 

 

 

यदि आंख, कान में सुनने देखने की स्वतंत्र शक्ति होती तो मृतक या मूर्छित स्थिति में भी आंखे देखती और कान सुनते। ध्यान मग्न अवस्था में आंखों के सम्मुख गुजरने वाले दृश्य ही परिलक्षित नहीं होते और कानों के समीप बातचीत होते रहने पर भी कुछ सुना नहीं जाता।

 

 

 

अनेक दृश्यों में से आंखे केवल अपनी प्रिय वस्तु पर ही टिकती है। कई प्रकार की ध्वनि हम ज्ञान प्रधान इन्द्रियों, आंख, सत्ता होते रहने पर भी कान उन्हीं पर केन्द्रित होते हैं, जिसे हम सुनना चाहते हैं। कान में अपनी क्रियाशीलता नहीं। जिसकी प्रेरणा से वे सक्रिय रहते है वह आत्मा ही है।

यह भी पढ़ें :  अनमोल वचन
- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

76,719FansLike
5,532FollowersFollow
150,089SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय