चंडीगढ़। हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव ने फ़ूड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के अधिकारियों को निर्देश दिए कि शेड्यूल एच और एक्स दवाओं की बिक्री की निगरानी के लिए मेडिकल स्टोरों का नियमित दौरा करें और प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। दोषी पाए जाने वाले मेडिकल स्टोरों का लाइसेंस रद्द करते हुए दुकानों को सील कर कानूनी कार्रवाई करें।
स्वास्थ्य मंत्री ने शुक्रवार को हरियाणा में नशा मुक्ति कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि प्रदेश में सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों में नशे की लत के नि:शुल्क उपचार की उपलब्धता सरल की जाए और उपचार के दौरान यह सुनिश्चित किया जाए कि नशे के आदी या रोगी की पहचान गोपनीय रहे। उन्होंने नशीली दवाओं की लत के खतरे से बचाने के लिए स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चों-युवाओं को नशे की बुराई के प्रति जागरूकता फ़ैलाने की बात कही। उन्होंने अभिभावकों को भी अपने बच्चों की आदतों पर ध्यान देने का आग्रह किया।
स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने कहा कि नियमों का पालन न करने वाले 33 नशा मुक्ति केंद्रों के लाइसेंस पिछले वर्ष रद्द किए थे। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में नशा मुक्ति सेवाओं को मजबूत करने के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रायोजित योजना के तहत 17 नए नशा मुक्ति केंद्रों (व्यसन उपचार सुविधाओं) के रूप में स्थापना की जा रही है।
उन्होंने जानकारी दी कि हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने नशा करने वालों के खिलाफ 4505 एफआईआर दर्ज की और 7523 नशा करने वालों की पहचान की गई। नशा करने वालों से संपर्क करने और उनका उपचार करने के लिए उक्त युवाओं की सूची संबंधित जिलों के अधिकारियों के साथ साझा की गई है।
स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के निदेशक डॉ. ब्रह्मदीप ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में ओपीडी में कुल 34 हजार 684 मामूली नशे के आदी मरीजों का इलाज किया गया, जबकि गंभीर रूप से नशे के आदी 2651 मरीजों को नशे की लत के इलाज के लिए भर्ती किया गया। इनमें सबसे अधिक नशा के मामले जिला सिरसा में मिले हैं। सभी जिला नोडल अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान मादक द्रव्यों के सेवन से पीड़ित व्यक्तियों को नशा मुक्ति उपचार सेवाएं प्रदान करने वाले नशा मुक्ति केंद्रों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया के संबंध में मानक उपचार दिशा निर्देशों पर चर्चा की गई।
उन्होंने बताया कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग का शीघ्र पता लगाने के लिए सभी जिला सिविल अस्पतालों में पहले से ही उपलब्ध कराए गए मूत्र औषधि जांच किट का उपयोग किया जाए। ये किट मूत्र के नमूनों में विभिन्न प्रकार की दवाओं जैसे ओपिओइड, कोकीन, कैनबिस. बेंजोडायजेपेन्स, एम्फैटेमिन, बर्बिट्यूरेट्स के सेवन का तेजी से पता लगाती हैं।