नई दिल्ली। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में तेजी से आगे बढ़ रहा है। अब देश से हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों का निर्यात ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के लिए शुरू हो गया है। केंद्रीय रेलवे, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री, अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की पोस्ट में वैष्णव ने कहा कि सरकार घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए उपकरणों, सब-असेंबली और कैपिटल उपकरणों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे लिखा कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में नए आयाम छू रहा है।
वैष्णव ने आगे कहा कि देश ने वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग गंतव्यों के लिए हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों का निर्यात शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य इस सुनियोजित कदम के जरिए निर्यात हासिल करना और मूल्यवर्धन बढ़ाना है।” देश में घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए लाई गई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) और मेक इन इंडिया पहल ने घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने में मदद की है। इससे भारतीय मैन्युफैक्चरर्स को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में भी मदद मिल रही है। इससे पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर भारत में डिजाइन और मैन्युफैक्चर किए गए लैपटॉप को दिखाया था।
स्वदेशी लैपटॉप इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर में देश की बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग और इनोवेशन क्षमता को दिखाता है। पिछले महीने, सरकार ने कहा था कि आईटी हार्डवेयर के लिए लाई गई पीएलआई 2.0 योजना के तहत 10,000 करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ है और इसने लॉन्च के केवल 18 महीनों के भीतर 3,900 नौकरियां पैदा की हैं। देश के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में पिछले एक दशक में मजबूत वृद्धि हुई है और कुल उत्पादन 2014 में 2.4 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 9.8 लाख करोड़ रुपये हो गया है। भारत में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में भी मजबूत वृद्धि देखी गई है, देश में उपयोग किए जाने वाले 98 प्रतिशत मोबाइल फोन अब घरेलू स्तर पर उत्पादित किए जा रहे हैं।