Friday, April 18, 2025

वक्फ विधेयक पर संसद की मुहर, दोनों सदनों में आसानी से हुआ पास, कानून बनने से अब एक कदम दूर

नई दिल्ली। विवाद और चर्चाओं के बीच वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर आखिरकार संसद की मुहर लग गई है। लोकसभा में पास होने के बाद गुरुवार रात राज्यसभा में भी यह विधेयक पारित कर दिया गया। करीब 12 घंटे तक चली मैराथन बहस के बाद हुए मतदान में 128 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में जबकि 95 सांसदों ने विरोध में वोट डाला।

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राज्यसभा में विधेयक पारित होते ही इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेज दिया गया है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा।

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राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष की ओर से कई संशोधन पेश किए गए, लेकिन सभी को सदन ने खारिज कर दिया। चर्चा के दौरान, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने विपक्ष पर करारा हमला बोला और कहा कि “वक्फ बोर्ड एक वैधानिक संस्था है और इसे धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। लेकिन हम देख रहे हैं कि इसमें पारदर्शिता की भारी कमी है।”

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रिजीजू ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “विपक्षी दल मुस्लिम समुदाय को डरा रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ की जो बात कही है, वही संविधान की आत्मा है।”

उन्होंने आगे कहा कि यदि मुसलमानों में गरीबी अधिक है, तो इसका जिम्मेदार कौन है? “आपने ही तो उन्हें गरीब बनाया। आज मोदी सरकार उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रही है।”

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राज्यसभा की बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह भी कई बार हस्तक्षेप करते हुए विपक्ष को घेरा। कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन द्वारा ट्रिब्यूनल संबंधी बिंदु उठाए जाने पर शाह ने कहा कि “पहले ट्रिब्यूनल के फैसलों को चुनौती नहीं दी जा सकती थी, लेकिन अब हमने यह अधिकार भी विधेयक में जोड़ा है।”

किरण रिजीजू ने वक्फ बोर्ड पर संपत्तियों के दावे को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि, “दिल्ली में ही वक्फ बोर्ड ने शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली विकास प्राधिकरण की 123 संपत्तियों पर दावा ठोका है। ऐसा लगता है कि कल को ये संसद भवन पर भी दावा कर देंगे।”

उन्होंने केरल और तमिलनाडु के उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे कुछ राज्यों में वक्फ बोर्ड मनमाने तरीके से जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं।

 

वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान जहां सत्ता पक्ष के सांसद सदन में बड़ी संख्या में मौजूद रहे, वहीं विपक्ष की कई सीटें खाली रहीं, जिससे विधेयक के विरोध का प्रभाव भी कमजोर पड़ा। चर्चा के दौरान किसी बड़े हंगामे या टोकाटाकी की स्थिति नहीं बनी, जैसा कि पहले अनुमान लगाया जा रहा था।

 

इस विधेयक के ज़रिये वक्फ बोर्ड की शक्तियों और कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने की कोशिश की गई है। वक्फ संपत्तियों पर दावा करने की प्रक्रिया को अधिक स्पष्ट किया गया है,ट्रिब्यूनल के निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देने का प्रावधान जोड़ा गया है,वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में सुधार और पारदर्शिता बढ़ाने पर ज़ोर है,अवैध कब्जों और फर्जी दावों की रोकथाम के लिए नियम सख्त किए गए हैं।

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