जम्मू। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने समुदायों के बीच ‘विभाजन’ और ‘घृणा’ को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा, “हिंसा तभी भड़की जब हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विभाजन और नफरत पैदा करने की कोशिश की गई। बुलडोजर चलाए गए, जिसके कारण मुसलमानों की मस्जिद, स्कूल और घर ढहा दिए गए। उनका क्या दोष था? क्या उनके खिलाफ कुछ साबित हुआ? नहीं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुलडोजर पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद, उन्होंने (अधिकारियों ने) इसे जारी रखा। क्या कानून सबके लिए समान नहीं है?” विधायी मामलों में न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के विवादास्पद बयान पर अब्दुल्ला ने कहा कि लोकतंत्र को जीवित रखने वाले चार स्तंभ हैं।
उन्होंने कहा, “उनके (भाजपा) सांसद को न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी।” रामबन आपदा पर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने केंद्र से मदद की अपील की है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री आज इलाकों का दौरा कर रहे हैं। हमने केंद्र से भी इस आपदा को कम करने में मदद करने को कहा है।” जम्मू में पानी और बिजली की कमी पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ अब्दुल्ला ने एलजी मनोज सिन्हा की आलोचना की। उन्होंने कहा, “उन्होंने (एलजी) एक बिजली संयंत्र राजस्थान को और दूसरा उत्तर प्रदेश को दिया। जम्मू में आप लोग चुप क्यों हैं? जब दरबार मूव आपसे छीना गया, तब भी आप चुप रहे। वे परियोजनाएं कहां हैं, जिन पर मैंने हस्ताक्षर किए थे?” पूर्व रॉ प्रमुख ए.एस. दुलत द्वारा अपनी नई किताब में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के समय अब्दुल्ला की भूमिका पर की गई टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि उनके बारे में कहने के लिए कुछ नहीं है।