कानपुर । क्राइम ब्रांच ने तीन शातिर ठगों को अलीगढ़ से गिरफ्तार किया है। आरोपितों ने सेवानिवृत्त ईपीएफओ अधिकारी को डिजिटल अरेस्ट कर 82.30 लाख रुपये अपने खाते ट्रांसफर करा लिए थे।
खुद को ठगा हुआ महसूस कर पीड़ित द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे के आधार पर तीनों ठग पुलिस के हत्थे चढ़े हैं। गिरोह का सरगना यूट्यूबर पास है। यह जानकारी गुरुवार को डीसीपी क्राइम एसएम कासिम आबिदी ने दी।
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पुलिस उपायुक्त अपराध एसएम कासिम आबिदी ने जानकारी देते हुए बताया कि पनकी थाना क्षेत्र के शताब्दी नगर में रहने वाले विनोद कुमार झा एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) से रिटायर अधिकारी हैं। उन्होंने बीते छह अप्रैल को साइबर थाने में ठगी का मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़ित के मुताबिक 17 फरवरी को अनजान नंबर से कॉल आया था। कॉल करने वाले ने कहा कि राजधानी दिल्ली में उनके नाम से एक फर्जी कम्पनी चल रही है। जिसका टैक्स नहीं जमा किया गया है।
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इस पर पीड़ित ने कहा कि उन्होंने कोई भी कम्पनी नहीं खोली है। लेकिन शातिरों ने मुकदमा दर्ज कराने तथा खाते को वैरिफाई करने आदि के नाम पर आयकर का भय दिखाकर डिजिटल अरेस्ट कर लिया। फिर समझौता करने के नाम पर तीन अलग-अलग बैंक खातों में 82.30 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए गए।
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खुद को ठगा हुआ महसूस कर पीड़ित ने साइबर थाने में आरोपितों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस बैंक खातों के जरिए तीनों शातिरों तक पहुंच गई। पकड़े गए ठगों की पहचान अलीगढ़ निवासी रौबी कुमार, जितेंद्र कुमार और रविन्द्र सिंह के रूप में हुई है। पूछताछ के दौरान रौबी कुमार ने बताया कि वह एक यूट्यूबर और गेमर है। ऑनलाइन गेम खेलने के साथ-साथ वह यूट्यूब पर चैनल भी चलाता है।
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डिजिटल अरेस्ट का नाम सुनकर उसने ठगी करने के लिए गांव के ही रहने वाले अपने दो और साथियों जितेंद्र कुमार और रविंद्र सिंह को भी अपने साथ शामिल कर लिया। इन सब में सबसे चौंका देने वाली बात यह है कि रवि केवल 12वीं पास है। उसने साइबर ठगी की बारीकियां यूट्यूब से सीखी। फिर घटना को अंजाम दिया। जबकि दूसरा साथी जितेंद्र कुमार बी फार्मा और रविंद्र आठवीं पास है। पुलिस को आरोपितों के पास से तीन मोबाइल फोन और 7,70,000 नकद बरामद किये हैं। आरोपितों से पूछताछ जारी है।