हमीरपुर – उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में जिलाधिकारी (डीएम) व पुलिस अधीक्षक (एसपी) के बंगले व भूमि को अभिलेखों में हेराफेरी कर हड़पकर करोडो रुपये की बिक्री करने के मामले में तहसीलदार सदर व उनकी टीम ने शनिवार को जांच पडताल शुरु कर दी है। करीब 32 प्लाटों में बने कीमती मकान मालिकों के चेहरे में हवाईया उड़ना शुरु हो गयी है।
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तहसीलदार रवींद्र पाल ने शनिवार को बताया कि कानपुर-सागर नेशनल हाईवे से लेकर डीएम बंगले की बाउंड्रीवॉल से सटकर बने मकानों तक नापजोख की जा रही है,क्योंकि जमीन हड़पने वाले लोगो ने स्थानीय लोगो को प्रशासन की जमीन बिक्री कर दी है जिसमें करीब 32 लोग कीमती मकान निर्माण कर रहने भी लगे है। इस भूमि से करोडो रुपये की कमायी हुई थी।जैसे ही इस राज से पर्दा उठा कि विपक्षियों ने सरकारी अभिलेखों में हेराफेरी कर दी।
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एसडीएम सदर शुक्रमा प्रसाद विश्वकर्मा की तहरीर पर कोतवाली में चार अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित 13 लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो चुकी है। चूंकि विपक्षियों के पास मालिकाना हक ही नहीं है इसलिए उन्होंने जिन जमीनों को अपनी बताकर बेचा था वो भी जांच के दायरे में आ गई हैं। इनमें अधिकांश प्लाटिंग डीएम बंगले की बाउंड्रीवॉल से सटाकर की गई थी। अभी तक जांच में 32 प्लाटों के नाम रजिस्ट्री होने की पुष्टि हुई है। अब प्रशासन ने इस पूरे इलाके नापजोख शुरू करा दी है।
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शनिवार की दोपहर बाद तहसीलदार रवींद्र पाल ने तीन लेखपालों रमेश कुमार अरुण कुमार और सुरेश प्रजापति के साथ डीएम बंगले के आसपास के इलाके की नापजोख कराई है। हाईवे से लेकर बाउंड्रीवॉल तक की जमीन नापी गई है। तहसीलदार ने बताया कि डीएम के आदेश पर नाप-जोख की गई है जिसकी रिपोर्ट जल्द ही डीएम को सौंपी जाएगी।
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वहीं निबंधन विभाग के स्टाम्प एआईजी धीरेंद्र प्रताप का कहना है कि जिलाधिकारी के आदेश से जमीन के बायनामा के अभिलेख विभाग ने सर्च करके दे दिये है। बायना में सही है या नही इसकी पुष्टि एसडीएम करेगे। एआईजी का कहना है कि मामला गंभीर है एक्ट के अनुसार क्रेता व विक्रेता दोनो को जमीन खरीदने व बेचने मे सावधानी रखनी चाहिये। उनका मानना है कि जांच करने के बाद ही कोई मामला सामने आयेगा।