सिडनी। एक अध्ययन के अनुसार, तीव्र तनाव दिमाग की भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता को बाधित कर सकता है, खासकर उन लोगों में जो अवसाद, चिंता या बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर जैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया की एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी (ईसीयू) के शोधकर्ताओं ने पाया कि तनाव अस्थायी रूप से दिमाग की कार्यकारी क्षमताओं को प्रभावित कर सकता है। ये क्षमताएं, जैसे कामकाजी स्मृति, आवेग नियंत्रण और लचीलापन, भावनाओं को नियंत्रित करने और दबाव में निर्णय लेने के लिए बहुत जरूरी हैं। यूनिवर्सिटी के टी-जे स्कॉट ने कहा कि ये कार्यकारी क्षमताएं भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए बहुत जरूरी हैं, खासकर मुश्किल परिस्थितियों में। उन्होंने कहा कि हमारे शोध से पता चलता है कि तनाव संबंधित विकार वाले लोग अपनी कार्यकारी क्षमताओं में बाधा आने के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। कार्यकारी क्षमताएं, जैसे जानकारी को याद रखना और उपयोग करना, आवेग नियंत्रण, बदलाव के अनुकूल ढलना, भावनात्मक संतुलन बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
शोध टीम ने 17 अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों की समीक्षा की और पाया कि तनाव अवसाद से पीड़ित लोगों में कामकाजी स्मृति को काफी प्रभावित करता है और बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर वाले लोगों में आवेग नियंत्रण को कमजोर करता है। स्टडी की सह-लेखिका और ईसीयू की प्रोफेसर जोआन डिक्सन ने कहा कि नतीजों से पता चलता है कि कुछ लोग कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी जैसे सामान्य उपचारों का अच्छा जवाब क्यों नहीं दे पाते। अगर तीव्र तनाव उन मानसिक प्रक्रियाओं में बाधा डालता है जो भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करती हैं, तो यह व्यक्ति की इन उपचारों से लाभ उठाने की क्षमता को कमजोर कर सकता है, खासकर तब जब तनाव बहुत अधिक हो। स्टडी से पता चलता है कि तीव्र तनाव में कार्यकारी क्षमताएं प्रभावित होती हैं, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि व्यक्तिगत अंतरों को समझने और उपचार रणनीतियों को बेहतर करने के लिए और शोध की जरूरत है। शोधकर्ताओं ने भावनात्मक रूप से गहन चिकित्सा सत्रों से पहले कॉग्निटिव स्किल विकसित करने का भी सुझाव दिया। स्कॉट ने कहा कि यह समझना कि तनाव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर किस प्रकार प्रभाव डालता है, मानसिक स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।