नई दिल्ली। गर्भनिरोधक गोलियां या एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन युक्त संयुक्त गर्भनिरोधक लेने से युवा महिलाओं में क्रिप्टोजेनिक स्ट्रोक (बिना किसी ज्ञात कारण के स्ट्रोक) का खतरा तीन गुना बढ़ सकता है। एक स्टडी में इस बात का दावा किया गया है। जिन स्ट्रोक का कारण पता नहीं चलता, उन्हें क्रिप्टोजेनिक स्ट्रोक कहते हैं। यह युवा वयस्कों में होने वाले 40 प्रतिशत तक इस्केमिक स्ट्रोक का कारण होता है। इसके लगातार बढ़ते मामले के बाद भी गर्भनिरोधक दवाओं के प्रयोग से होने वाले जोखिम पर अब तक कम ध्यान दिया गया है।
इस्तांबुल विश्वविद्यालय के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख लेखिका डॉ. माइन सेजगिन ने कहा, “हमारे निष्कर्ष गर्भनिरोधक गोलियां के उपयोग से होने वाले स्ट्रोक के जोखिम के साक्ष्य की पुष्टि करते हैं।” उन्होंने कहा, “खास बात यह है कि अन्य ज्ञात जोखिम कारकों को ध्यान में रखने के बाद भी यह संबंध मजबूत रहता है, जिससे लगता है कि इसमें कुछ अतिरिक्त कारण, जैसे जेनेटिक या जैविक, शामिल हो सकते हैं।” इस शोध में यूरोप के 14 केंद्रों में क्रिप्टोजेनिक इस्केमिक स्ट्रोक (सीआईएस) से पीड़ित 18-49 वर्ष की 268 महिलाओं और 268 स्ट्रोक-मुक्त नियंत्रणों को शामिल किया गया था।
शोधकर्ताओं का कहना है कि गहन अध्ययनों की जरूरत है, वह चिकित्सकों को सलाह देते हैं कि जिन महिलाओं में रक्त वाहिका संबंधी जोखिम कारक या इस्केमिक स्ट्रोक का इतिहास हो, उन्हें गर्भनिरोधक दवाएं लिखते समय सावधानी बरतनी चाहिए। डॉ. सेजगिन ने कहा, “हमारे निष्कर्षों से युवा महिलाओं में स्ट्रोक के जोखिम का अधिक सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की प्रेरणा मिलेगी, विशेष रूप से उन महिलाओं में जिनमें अतिरिक्त स्वास्थ्य जोखिम पहले से हैं।” इसके बाद, शोधकर्ताओं ने गर्भनिरोधक गोलियों के उपयोग और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम के बीच देखे गए संबंध के अंतर्निहित जैविक और आनुवंशिक तंत्रों का पता लगाने की योजना बनाई है, ताकि यह बेहतर ढंग से समझा जा सके कि हार्मोनल गर्भनिरोधक स्वतंत्र रूप से स्ट्रोक के जोखिम को कैसे बढ़ा सकते हैं। ये निष्कर्ष फिनलैंड के हेलसिंकी में चल रहे यूरोपीय स्ट्रोक संगठन सम्मेलन (ईएसओसी) 2025 में प्रस्तुत किए गए।