Tuesday, December 17, 2024

वाराणसी में 17 से 19 अप्रैल को जी-20 की बैठक, ‘एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य’ के सपने होंगे साकार

वाराणसी। वाराणसी में 17-19 अप्रैल के बीच होने वाली जी-20 की बैठक में ‘एक पृथ्वी, एक परिवार तथा एक भविष्य के सपने साकार होंगे। इस बैठक में कृषि विशेषज्ञ और वैज्ञानिक शामिल होंगे।

बैठक में महर्षि पहल यानी मिलेट और अन्य प्राचीन अनाज अन्तर-राष्ट्रीय अनुसंधान पहल शामिल होगी। यह पहल अन्तर-राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के साथ कृषि-जैव विविधता, खाद्य सुरक्षा और पोषण के संबंध में अनुसंधान और जागरूकता पर ध्यान केंद्रित करेगी।

कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ हिमांशु के अनुसार भारत की जी-20 अध्यक्षता के मूल विषय ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के अनुरूप, कृषि मुख्य वैज्ञानिकों की बैठक खाद्य और पोषण सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन, एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण, डिजिटल कृषि और अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर चर्चा को आगे बढ़ायेगी।

डॉ. हिमांशु पाठक ने आयोजन की सफलता की कामना कर बताया कि यह आयोजन कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार में सहयोग के नए अवसर प्रदान करेगा और अन्तर-राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए जी-20 फोरम को मजबूत करेगा।

उन्होंने बताया कि भारत की अध्यक्षता में 12 वीं कृषि मुख्य वैज्ञानिकों की बैठक में स्वस्थ लोगों और धरती के लिए सतत कृषि तथा खाद्य प्रणाली के विषय की पहचान की गई है। इस विषय में चार प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं, जिन पर चर्चा केंद्रित होगी। ये क्षेत्र हैं, सबसे पहले खाद्य सुरक्षा और पोषण-विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सीमाओं की भूमिका, दूसरा जलवायु अनुकूल कृषि और एक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण के माध्यम से लचीलापन और टिकाऊ कृषि का निर्माण, तीसरा कृषि परिवर्तन के लिए डिजिटलीकरण और अंत में अनुसंधान और विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी। इन क्षेत्रों में,विज्ञान आधारित तकनीकी और अभिनव समाधानों को साझा करने में मदद करने के लिए जी-20 देशों के एक साथ आने के विकल्पों का पता लगाया जाएगा।

जी-20 की बैठक विज्ञान आधारित समाधान देने में सहायक
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने संदेश दिया कि ‘कृषि भारत की सभ्यता, संस्कृति और विरासत की नींव है। भारतीय कृषि अद्वितीय, विविधतापूर्ण और विशाल है जो हमारी आधी से अधिक आबादी को आजीविका और आय प्रदान करती है। पिछले 75 वर्षों के दौरान, देश खाद्य के मामले में अन्य देशों पर निर्भरता से लेकर एक खाद्य निर्यातक राष्ट्र तक पहुंचा है। इसने ग्रीन, व्हाइट, ब्लू, येलो, गोल्डन, सिल्वर, ब्राउन, ग्रे और इंद्रधनुषी क्रांतियों सहित विज्ञान और नीति-समर्थित कृषि-क्रांतियां हासिल कीं, जिसने भारतीय कृषि को बदल दिया।

बताया कि 1950 के बाद से खाद्य उत्पादन में 6 से 70 गुना की वृद्धि हुई है, जबकि खेती वाले क्षेत्र में केवल 1.3 गुना वृद्धि हुई है। जी-20 में कृषि प्रमुख वैज्ञानिकों की बैठक टिकाऊ, लचीले और लाभदायक कृषि-खाद्य प्रणालियों को प्राप्त करने के लिए विज्ञान आधारित समाधान देने के लिए संयुक्त कार्रवाई को बढ़ावा देने में सहायक है। यह खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए चर्चा, विचार-विमर्श और ज्ञान, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान और जी-20 देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए एक अच्छा मंच है।

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