लखनऊ केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2023-24 के लिये बुधवार को पेश किये गये बजट प्रस्तावों का उत्तर प्रदेश के व्यापारियों ने स्वागत किया है जबकि भारतीय किसान यूनियन और विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसे निराशाजनक करार दिया है।
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष बनवारी लाल कंछल ने कहा कि बजट सभी वर्गो के लिये लाभदायक है। बजट में छूट की सीमा ढाई लाख से तीन लाख की गयी है। जबकि पहले जिनको पांच लाख की छूट मिलती थी, उन्हे सात लाख की आय में छूट मिलेगी। छूट के स्लैब को भी कम किया गया है जिससे आम जनता को फायदा होगा।
बजट में उद्योग क्षेत,व्यापार क्षेत्र एवं कर्मचारियों को कई तरह की सुविधायें दी गयी हैं जो सराहनीय है। उत्तर प्रदेश के करोडो व्यापारी बजट की सराहना करते हैं।
भारतीय किसान यूनियन ने हालांकि इसे आकंड़ों का बजट बताते हुये मांग की कि सरकार किसानो को कर्ज नहीं बल्कि उनकी उपज का उचित दाम दे। भाकियू ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि अमृतकाल का यह बजट में किसानों को ऋणकाल से अंधकारकाल में ले जाने वाला है। सरकार ने पूर्वकाल में भी कई वादे किसानो से किये है मगर योजना का धरातल में लाने के बाद उसका लाभ किसानो को नहीं मिला।
बजट में कहा गया है कि सरकार 20 लाख करोड़ तक क्रेडिट कार्ड के जरिये ऋण बांटने का लक्ष्य पूरा करेगी लेकिन इससे किसानों को लाभ नहीं मिलेगा बल्कि किसान की जमीन बैंक में बंधक हो जायेगी। किसानो को कर्ज नहीं बल्कि फसलों के भाव व गारंटी कानून देने का काम सरकार करे। आम बजट में किसान दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा था।
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि वर्ष 2023-24 के बजट से ऊर्जा क्षेत्र को भारी निराशा हाथ लगी है। बजट में किये गये प्रावधानो से आने वाले समय में ऊर्जा क्षेत्र निजीकरण की तरफ बढेगा । इस बजट में केवल ऊर्जा परिवर्तन के नाम पर 35 हजार का प्राविधान सहित 4000 एमडब्लूएच ऊर्जा भण्डारण की बात कही गयी है इससे कुछ नहीं होने वाला है।
उन्होने कहा कि सौभाग्य योजना में हर घर को बिजली देने मात्र से अंधियारा नहीं मिटेगा जब तक कि गरीब परिवारों को सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराने के लिये बजट में प्राविधान नहीं किया जायेगा।