नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 55वीं बैठक 21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में आयोजित होगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में कई वस्तुओं के टैक्स स्लैब में बदलाव होने की उम्मीद है।
जीएसटी परिषद ने सोमवार को ‘एक्स’ पोस्ट पर जारी एक बयान में कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक 21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में होगी। इस बैठक में सीतारमण के साथ राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल होंगे। दरअसल, पहले यह बैठक नवंबर के पहले हफ्ते में होने वाली थी, जो दिसंबर में होने जा रही है। इस बैठक में राज्यों के वित्त मंत्री अगले वित्त वर्ष 2025-26 के बजट से जुड़े अपने सुझाव भी पेश करेंगे, जो कि 1 फरवरी, 2025 को संसद में प्रस्तुत किया जाएगा।
टर्म लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी दर में बदलाव की संभावना
जानकारों के मुताबिक जीएसटी परिषद की 21 दिसंबर को आयोजित होने वाली 55वीं बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले हो सकते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम पर जीएसटी से छूट का प्रस्ताव है। इस पर राज्यों के मंत्रियों की एक समिति अपनी रिपोर्ट पेश कर चुकी है। अक्टूबर, 2024 में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर गठित मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम को जीएसटी से बाहर करने पर अपनी सहमति जताई थी। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर भी जीएसटी से छूट देने का प्रस्ताव भी पारित हो सकता है।
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर भी छूट मिलने की संभावना
जीएसटी परिषद की इस बैठक में यह संभावना है कि 5 लाख रुपये तक के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को जीएसटी से छूट दी जा सकती है। हालांकि, 5 लाख रुपये से अधिक कवर वाली पॉलिसी के प्रीमियम पर जीएसटी जारी रहेगा। इससे हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के बाजार को प्रोत्साहन मिल सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास कम से कम स्वास्थ्य जीवन बीमा कवर है।
मौजूदा जीएसटी दरों की समीक्षा की मांग भी बढ़ी
देश में जीएसटी के चार मुख्य स्लैब (5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी, और 28 फीसदी) के तहत टैक्स लगाया जाता है। दरअसल, आवश्यक चीजों पर जीएसटी की कम दर या छूट लागू होती है, जबकि लग्जरी वस्तुओं पर उच्च टैक्स दर लगती है। हालांकि, हाल के आंकड़ों के मुताबिक जीएसटी की औसत दर 15.3 फीसदी से कम हो गयी है, जिससे टैक्स स्लैब में बदलाव की मांग तेज हो गई है। खासकर उन वस्तुओं पर टैक्स घटाने की मांग हो रही है, जो आम लोगों द्वारा ज्यादा इस्तेमाल की जाती हैं।