Saturday, December 21, 2024

शेयर बाजार के मार्केट कैप में 11 महीने के निचले स्तर पर आई पीएसयू

नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार में अक्टूबर के महीने से ही जारी बिकवाली के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के मार्केट कैप में जबरदस्त गिरावट आ गई है। इस गिरावट की वजह से शेयर बाजार के टोटल मार्केट कैप में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की हिस्सेदारी घटकर पिछले 11 महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। फिलहाल, शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के टोटल मार्केट कैप में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की हिस्सेदारी घट कर 15.34 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई है, जो पिछले साल दिसंबर के बाद से अभी तक का सबसे निचला स्तर है।

इस साल मई के महीने में शेयर बाजार के टोटल मार्केट कैप में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ कर 17.77 प्रतिशत हो गई थी, जो पिछले 7 साल का सबसे ऊंचा स्तर था। फिलहाल शेयर मार्केट में लिस्टेड 103 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का टोटल मार्केट कैप 66.06 लाख करोड़ रुपये है। रुपये के संदर्भ में इन पीएसयू कंपनियों का सबसे अधिक मार्केट कैप इस साल जुलाई के महीने में था, जब इन सभी कंपनियों का कुल मार्केट कैप 81.38 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया था लेकिन अक्टूबर के महीने में हुई जोरदार गिरावट के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां के टोटल मार्केट कैप में ऑल टाइम हाई लेवल से 15.32 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आ चुकी है।

बीएसई के पीएसयू इंडेक्स की अगर बात करें तो ये सूचकांक रिकॉर्ड हाई लेवल से 17.54 प्रतिशत गिर चुका है। ये स्थिति तब है, जब सेंसेक्स और निफ्टी रिकॉर्ड हाई से 10 प्रतिशत से थोड़ा अधिक टूटे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की 103 लिस्टेड कंपनियां में से 5 कंपनियों के शेयर अपने सर्वोच्च स्तर से 50 प्रतिशत से अधिक लुढ़क चुके हैं। इन कंपनियों में महानगर टेलीफोन निगम (सर्वोच्च स्तर से 57 प्रतिशत की गिरावट), कोचीन शिपयार्ड (सर्वोच्च स्तर से 56 प्रतिशत की गिरावट), चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (सर्वोच्च स्तर से 55 प्रतिशत की गिरावट) गार्डन रीच शिप बिल्डर्स और इंडसइंड बैंक हाउसिंग (सर्वोच्च स्तर से 50-50 प्रतिशत की गिरावट) के नाम शामिल हैं। इन कंपनियों के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की 21 कंपनियों के शेयर सर्वोच्च स्तर से 40 से 49 प्रतिशत तक टूट चुके हैं, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की 40 कंपनियों के शेयर में 30 से 40 प्रतिशत और 24 कंपनियों के शेयर में 20 से 30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। 13 कंपनियों के शेयर में सर्वोच्च स्तर से 5 से 20 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां के शेयरों के हाई वैल्यूएशन के कारण इनमें तुलनात्मक तौर पर अधिक गिरावट आई है। इसके अलावा अर्थव्यवस्था की सुस्ती की वजह से भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां के शेयरों के प्रति निवेशकों का रुझान घटा है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि सितंबर में खत्म हुई दूसरी तिमाही के दौरान ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का प्रदर्शन कमजोर रहा है, जिसके कारण निवेशकों ने इन कंपनियों के शेयरों की जम कर बिकवाली की, जिससे इन कंपनियों के शेयर टूटते चले गए।

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