Sunday, November 24, 2024

बहुत गुणकारी है बर्फ

अधिकतर लोग बर्फ का उपयोग गर्मी से राहत पाने या शीतलता के लिए करते हैं। कम ही लोगों को बर्फ के औषधीय गुणों के बारे में मालूम है। बर्फ कई प्रकार की शारीरिक तकलीफों में जादुई असर दिखाती है। बर्फ ठंडी होती है पर उस की तासीर गरम होती है। विशेषज्ञों के अनुसार बर्फ में एक प्रकार का गुप्त ताप होता है जो शारीरिक तकलीफों से निजात दिलाता है।

वैज्ञानिक बर्फ के प्राकृतिक गुणों को पहचान कर इस से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान ढूंढने में लगे हुए हैं। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने बर्फ से शरीर में छेद करने वाले यंत्र का निर्माण किया है। 2 डिग्री तापमान वाले इस यंत्र का इस्तेमाल सर्जरी के लिए किया जाता है।

बर्फ द्वारा ऐसे सर्जिकल ब्लेड का निर्माण किया गया है जिस से आपरेशन करने पर खून नहीं बहता। बवासीर के लिए की जाने वाली सर्जरी भी निम्न तापमान पर आधारित है। अमेरिकी वैज्ञानिक जेनेट टैवेल चोट व वात के दर्द में बर्फ की सिंकाई को लाभदायक बताते हैं। उनके अनुसार दर्द वाले स्थान पर बर्फ के क्यूब को लेकर गोलमोल घुमाने से दर्द से तुरंत राहत मिलती है।

डा. काल्ट ग्रांट के अनुसार बर्फ एक अच्छी दर्द निवारक है। दर्द वाले स्थान पर बर्फ रखने से वहां रक्त संचार कम हो जाता है या रूक जाता है। बर्फ की सिंकाई से ऐच्छिक व अनैच्छिक मांसपेशियों को उत्तेजना मिलती है जिससे मांसपेशियां अधिक मात्रा में आक्सीजन शोषित करती हैं और दर्द दूर हो जाता है।

प्राकृतिक चिकित्सक अनेक बीमारियों में बर्फ का इस्तेमाल करते हैं। जर्मन के मशहूर प्राकृतिक चिकित्सक लुई कूने टांसिल का इलाज बर्फ से करते थे।

मुंबई के मशहूर माइक्रोसर्जन डा विनोद सिंह केे अनुसार किसी दुर्घटना में शरीर का कोई अंग कट जाने पर कटे हुए अंग को साफ पालिथीन में रखकर पालिथीन का मुंह अच्छी तरह पैक कर दें। इसके बाद किसी बर्तन में उस पालिथीन को बर्फ में रख दें। बिना देरी किए अच्छे सर्जन के पास मरीज और कटे अंग को ले जाएं। कटा अंग बर्फ में 8 से 10 घंटे सुरक्षित रहता है। इस बीच चिकित्सक द्वारा उस अंग को जोडऩे पर वह अंग जुड़ कर फिर से पहले जैसा काम करने लगता है।

जल जाने पर:- जल जाने के तुरंत बाद बर्फ का टुकड़ा लेकर जले स्थान पर मलने से जलन शांत होती है छाले भी नहीं पड़ते।
नकसीर:- नाक से खून निकलने पर बर्फ को किसी कपड़े में लेकर नाक के उपर चारों ओर रखें। थोडी देर में खून निकलना बंद हो जाएगा।
खून बहने पर:- चोट लगने के कारण खून बह रहा है और किसी प्रकार से खून नहीं रूक रहा है तो ऐसे में उस स्थान पर बर्फ की पट्टी बांध दें। इससे खून बंद हो जाएगा।

चोट लगने पर:- किसी प्रकार की अंदरूनी चोट लगने पर तुरंत बर्फ मलने से खून जमने की आशंका नहीं रहती। दर्द भी दूर हो जाता है।
मोच आने पर:- मोच वाले स्थान पर तुरंत बर्फ मलने से दर्द व सूजन दूर हो जाती है।
अकडऩ:- अचानक गरदन अकड़ जाने पर उस स्थान पर बर्फ का टुकड़ा मलने पर अकडऩ दूर हो जाती है।
सूजन:- चोट के कारण किसी स्थान पर सूजन आ गई है तो बर्फ की सिंकाई करें। सूजन कम हो जाएगी।

घमौरियां:- यदि आप घमौरियों से परेशान हैं तो घमौरियों पर बर्फ के टुकड़े रगडं़े।  इस से घमौरियों की खुजली से राहत मिलेगी। घमौरियां भी दब जाएंगी।
कांटा चुभने पर:- हाथ या पैर में काटा या कोई और चीज चुभ गई तो उसे निकालने से पहले उस स्थान पर बर्फ मल लें। इस से दर्द नहीं होगी और कांटा भी आसानी से निकल आएगा।
बुखार:- अधिक तेज बुखार होने पर रोगी के सिर, हथेलियां और तलवों पर बर्फ को तौलिए में लपेट कर रखने से बुखार शीघ्र कम हो जाता है।

गले में खराश:- गले में खराश होने पर बर्फ का टुकड़ा लेकर गले के बाहर धीरे धीरे मलने पर खराश में राहत मिलती है।
वात रोग:- वात या गठिया के दर्द को दूर करने के लिए दर्द वाले हिस्से पर बर्फ का टुकड़ा 20 मिनट तक रखें, फिर हटा दें। 2 मिनट बाद फिर उस स्थान पर बर्फ का टुकड़ा रखें। यह प्रक्रिया 8 से 10 बार करेंं। इससे दर्द में राहत मिलती है। नियमित करने पर दर्द दूर हो जाता है। आधुनिक चिकित्सा में मिथाइल क्लोराइड को बर्फ में ठंडा कर वात या गठिया वाले स्थान पर स्प्रे किया जाता है जिससे दर्द तुरंत दूर हो जाती है।

डंकवाले स्थान पर:- मधुमक्खी के डंक मारने से उस स्थान पर बर्फ मलने से जलन और तकलीफ दूर हो जाती है।
दांत का दर्द:- दांत में दर्द व सूजन होने पर रूमाल में बर्फ का टुकड़ा लपेट कर दर्द वाले स्थान पर रखेें। इससे काफी राहत महसूस होगी

पीठ का दर्द:- गलत ढंग से उठने बैठने, सोने या बोझ उठाने से पीठ में दर्द होने पर बर्फ का पैक लगाने पर लाभ मिलता है। बर्फ का पैक लगाने के लिए तौलिए में बर्फ का चूरा फैलाकर पीठ पर लपेट लें।ईऊपर से सूखा कपड़ा लपेट लें। 15 मिनट बाद इसे निकाल ले यह प्रयोग लगातार कई दिनों तक करने से लाभ मिलता है।
– अंजलि रूपरेला

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