भरतपुर। राजस्थान में 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर जयपुर-आगरा हाइवे को जाम कर बैठे सैनी समाज का आंदोलन आज (रविवार) 10वें दिन में प्रवेश कर गया। इस आंदोलन के दौरान 25 अप्रैल को आंदोलन स्थल अरोदा के पास आत्महत्या करने वाले आंदोलनकारी मोहन सिंह (48) का अंतिम संस्कार शनिवार रात 11ः40 बजे भारी पुलिस बल की मौजूदगी में हलैना के मूडिया गंधार गांव में कर दिया गया।
परिजन शनिवार दोपहर से शव लेने के लिए रात 10 बजे तक आरबीएम (राज बहादुर मेमोरियल) हॉस्पिटल की मॉर्चरी के बाहर बैठे रहे। रात 10ः10 बजे शव पुलिस को सौंपा गया। इसके बाद परिजनों के साथ पुलिस शव को गांव हलैना के मूडिया गंधार गांव लेकर पहुंची। वहां रात 11ः40 बजे आनन-फानन में शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
इससे पहले एसपी ऑफिस भरतपुर में सुबह 11 बजे से दोपहर तक शव सौंपने को लेकर परिजनों और सैनी समाज के छह प्रतिनिधियों से रेंज आईजी गौरव श्रीवास्तव, कलेक्टर आलोक रंजन और एसपी श्यामसिंह के बीच वार्ता हुई। यह वार्ता सफल नहीं हो सकी। देर शाम रेंज आईजी गौरव श्रीवास्तव ने परिजनों को शव सौंपने से इनकार करते हुए रविवार को हल निकलने की बात कही। आईजी ने कहा था कि हालात अनुकूल नहीं होने के कारण शव नहीं दिया जा रहा। प्रशासन को आशंका थी कि शव को कहीं आंदोलन स्थल न ले जाया जाए।
प्रशासन से वार्ता विफल होने के बाद फुले आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्य बदन सिंह कुशवाह ने कहा था कि हमारा मोहन सिंह के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं है। परिवार को मोहन का शव दे दिया जाए। अंतिम संस्कार में हम शामिल होंगे। उन्होंने कहा आंदोलनकारियों की मांग पर एक मई को ओबीसी आयोग से चर्चा होनी है। वार्ता के बाद निर्णय लिया जाएगा कि हाइवे खाली करना है या नहीं।
उधर, शनिवार शाम नेशनल हाइवे 21 पर आंदोलन में शामिल फुले आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें नजदीकी एक मकान में ले जाया गया, जहां उपचार के बाद ड्रिप चढ़ाई गई। तब तबीयत में कुछ सुधार हुआ।
आंदोलनकारियों का कहना है मोहन सिंह को शहीद का दर्जा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और और पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए।