राग द्वेष का प्रमुख कारण वाणी है। हम देखते हैं कि व्यक्ति अपनी वाणी की मिठास से दुश्मन को निरूतर कर देता है। वाणी का बहुत बड़ा महत्व है। नारी के लिए यह आवश्यक है कि उसकी वाणी में मिठास हो क्योंकि नारी घर की लक्ष्मी होती है।
सास-बहु के झगड़ों को वाणी की मिठास ही कम करती है। घर आये अतिथि का स्वागत व सम्मान जुबान में शहद घोलकर कीजिए। देखिये वे आकाशवाणी के समाचार की तरफ आपके व्यवहार की प्रशंसा प्रचारित कर आपके व्यक्तित्व को बढ़ा देंगे। ऑफिस से पति घर आए, बस मीठी वाणी से बात करते ही उसकी थकावट दूर हो जाती है।
आप पति के इतंजार में सज धज कर, अच्छे ढंग से संवर कर अपने सौंदर्य की छटा बिखरेती बैठी हैं और पति के आते ही कर्कश स्वर में पूछ बैठीं-कहां लगा दी इतनी देर क्या मैं फालतू हूं जो तुम्हारा इंतजार करती रहूं। अब आप समझ लीजिए, आप पति का सम्मान एवं विश्वास सुंदर दिखने के बावजूद खो देंगी।
इसके विपरीत यदि आप कम आकर्षक हैं, फिर भी पति के आते ही मीठी वाणी में बोलती हैं, ‘आज बहुत काम करना पड़ा, देर हो गई, चलो थक गये होंगे,Ó बस आप समझ लीजिए कि पति की पहली पसंद आप ही रहेंगी और आपका सम्मान भी बढ़ेगा।
कहने का मतलब है
कि नारी की सुन्दरता, रूपरंग, कोमलता, साजसज्जा उसका आभूषण नहीं बल्कि सच्चा गहना उसकी वाणी है। वाणी में जोडऩे की शक्ति है तो तोडऩे की ताकत भी है। मात्र मिठास ही नहीं बल्कि संयमित एवं प्रभावी वाणी का उपयोग आपको अलंकृत करेगा। आपकी वाणी सामने वाले व्यक्ति को संवेदित कर रही है या नहीं, यह भी ध्यान रखें।
वाणी के साथ साथ यदि आपके चेहरे पर मुस्कान झलकती है तो समझिए सोने पे सुहागा। कहते भी हैं कि अर्द्धचन्द्र सी मुस्कुराहट मन मोह रही है, अर्थात यथा नाम तथा गुण यानी चन्द्रमा सी शीतलता प्रदान करें, ऐसी मुस्कुराहट के साथ जब आप किसी का स्वागत करती हैं तो अतिथि गदगद हो जाता है, और वह जहां भी जाता है आपकी प्रशंसा करता है।
ऐसा भी देखा गया है कि आपकी मंद-मंद मुस्कुराहट मूक होते हुये भी वाणी का कार्य कर देती है।
– ललित कुमार जैन