नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत के लिए, प्रौद्योगिकी देश के विकास पथ में गति जोड़ने का एक साधन है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने और समाज में असमानताओं को दूर करने में एक बड़ी भूमिका निभाती है।
प्रधानमंत्री ने आज प्रगति मैदान में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2023 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम 11 से 14 मई तक आयोजित होने वाले राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के 25वें वर्ष के उत्सव की शुरुआत को भी चिह्नित करता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने देश में वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति से जुड़ी 5800 करोड़ रुपए से अधिक की अनेक परियोजनाओं की आधारशिला रखी और उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि 11 मई भारत के इतिहास में सबसे प्रतिष्ठित दिनों में से एक है। प्रधानमंत्री ने पोखरण में परमाणु परीक्षण की 25वीं वर्षगांठ को भारतीय इतिहास के सबसे गौरवशाली दिनों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन भारत ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सफलतापूर्वक पोखरण परमाणु परीक्षण किया था, जिसने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की शक्ति का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि पोखरण परमाणु परीक्षण के जरिए भारत ने ना केवल अपने वैज्ञानिक सामर्थ्य को साबित किया बल्कि भारत के वैश्विक कद को एक नई ऊंचाई भी दी थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय में हम आजादी के ‘अमृतकाल’ के शुरूआती महीनों में हैं। हमें 2047 के लिए एक विशिष्ट लक्ष्य मिला है, हमें अपने देश को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है। चाहे वह देश की आर्थिक वृद्धि हो या सतत विकास लक्ष्य हो या नवाचार के लिए एक समावेशी पारिस्थितिकी तंत्र बनाना हो, प्रौद्योगिकी हर कदम पर महत्वपूर्ण है। इसलिए आज भारत एक नई सोच के साथ, 360 डिग्री समग्र दृष्टिकोण के साथ इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।
मोदी ने कहा कि एक समय था, जब प्रौद्योगिकी सामान्य भारतीय की पहुंच से बाहर थी लेकिन भारत का यूपीआई आज अपनी सादगी की वजह से नया सामान्य बन गया है। आज रेहड़ी-पटरी वालों से लेकर रिक्शे वाले तक, डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत, प्रौद्योगिकी को अपना दबदबा कायम करने का माध्यम नहीं मानता बल्कि देश की प्रगति को गति देने का एक साधन मानता है।
उन्होंने कहा कि जब हम प्रौद्योगिकी के सामाजिक संदर्भ को समझकर और पहचान कर आगे बढ़ते हैं, तो प्रौद्योगिकी सशक्तिकरण का एक बहुत बड़ा माध्यम बन जाती है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने और समाज में असमानताओं को दूर करने में एक बड़ी भूमिका निभाती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के युवा दिमाग को नवाचार की तरफ प्रेरित करने के लिए बीते 9 वर्षों में देश में एक मजबूत बुनियाद बन चुकी है। कुछ साल पहले शुरू की गई अटल टिंकरिंग लैब्स आज देश की नवाचार नर्सरी बन रही हैं। उन्होंने कहा कि हमने जो स्टार्टअप इंडिया अभियान शुरू किया, जो डिजिटल इंडिया अभियान शुरू किया, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई, उसने भी तकनीकी क्षेत्र में भारत की सफलता को नई ऊंचाई दी है। 2014 में, देश में लगभग 100 स्टार्टअप थे, जबकि आज यह संख्या लगभग 1 लाख है।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब डेबिट और क्रेडिट कार्ड को जेब में रखना स्टेटस सिंबल हुआ करता था, लेकिन आज समय आ गया है जब भारत का यूपीआई अपनी सरलता के कारण न्यू नॉर्मल हो गया है। आज जेम ट्रिनिटी, कोविन पोर्टल, ई-नेम हो या किसानों के लिए डिजिटल मार्केट, हमारी सरकार ने तकनीक को समावेशन एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले लगभग 4,000 पेटेंट सालाना पंजीकृत होते थे, अब यह 30,000 से अधिक है।
कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने हाल के दिनों में भारत में की गई वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को प्रदर्शित करने वाले एक्सपो का उद्घाटन भी किया। उन्होंने इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया।