नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत गोद लेने के कानून में बदलाव को चुनौती दी गई है। इस याचिका पर जस्टिस प्रतिभा एम सिह ने सुनवाई की। याचिका को जेसी जीवाराथिनम ने दायर किया है, जिनके दो जैविक बच्चे हैं और दिसंबर 2020 में उन्होंने एक बच्चे को गोद लेने का आवेदन दिया था। याचिकाकर्ता ने अदालत में तर्क दिया कि संचालन समिति संसाधन प्राधिकरण द्वारा दत्तक ग्रहण विनियम 2022 को लागू करने का निर्णय मनमाना, अनुचित और संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है।
ये भी कहा गया कि नियमों में परिवर्तन उन माता-पाता के लिए मुश्किल भरे हैं, जिनके पास पहले से दो बच्चे हैं। उन्हें स्वस्थ बच्चे को गोद लेने से रोका जाता है। 2022 के नियम 23 सितंबर 2022 को लागू हुए। संबंधित कानून पहले के विनियम के कार्यान्वयन का अधिकार नहीं देते।
न्यायमूर्ति सिंह ने मामले की समीक्षा करने के बाद अधिकारियों को याचिकाकर्ता का नाम प्रतीक्षा सूची में बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। ये भी कहा है कि अगर याचिकाकर्ता 2017 या 2022 के नियमों के तहत गोद लेने के योग्य हो जाती हैं तो उसे कानूनी रूप से सूचित किया जाना चाहिए।
अदालत ने एक सप्ताह के भीतर सूची में याचिकाकर्ता की वरिष्ठता बहाल करने का आदेश सुनाया। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तारीख निर्धारित की गई है।