नई दिल्ली। देश में सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार कानून माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए शुक्रवार को छह साल पूरे हो गए। एक देश एक कानून के तहत एक जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किया गया था। इस कानून को लाने का मकसद कर की चोरी और टैक्स पर नियंत्रण करना था। छह साल के इस सफर में राजस्व के मोर्चे पर कामयाबी तो मिली, लेकिन कई चुनौतियां अब भी बरकरार हैं।
जीएसटी कानून लागू होने के शुरुआती दौर में औसत मासिक राजस्व संग्रह 85-95 हजार करोड़ रुपये हुआ करता था। अब 1.5 लाख करोड़ रुपये का मासिक राजस्व संग्रह एक तरह से सामान्य हो चुका है। अप्रैल, 2023 में जीएसटी संग्रह 1.87 लाख करोड़ के सार्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। हालांकि, जीएसटी में धोखाधड़ी के नए तरीके भी आजमाए जा रहे हैं, लेकिन कर अधिकारी उनसे निपटने की कोशिशों में लगे हुए हैं।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक महीने में 11,140 जीएसटी के फर्जी मामले पकड़े हैं। इन मामलों से 15 हजार करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का अनुमान लगाया जा रहा है। जीएसटी की सर्वोच्च संस्था जीएसटी परिषद की 2016 से अब तक 49 बैठकें हुई हैं। जुलाई, 2017 को इसके लागू होने से अबतक 3 लाख करोड़ रुपये की कर चोरी होने का अनुमान है। जीएसटी अधिकारियों ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने के लिए जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी कंपनियां बनाने वालों की धरपकड़ के लिए डाटा विश्लेषण, एआई और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है।
इन सबके बावजूद टैक्स चोरी पर काबू पाने में जीएसटी काफी कारगर साबित हुआ है। हालांकि, जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने, पेट्रोल, डीजल एवं विमान ईंधन पर जीएसटी लगाने जैसे मुद्दों पर अबतक फैसला नहीं हुआ है। वहीं, ऑनलाइन गेमिंग, क्रिप्टो लेन-देन, ईवी चार्जिंग ढांचे और जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना जैसे मुद्दों पर स्पष्टता का इंतजार है।