Tuesday, April 29, 2025

कैसे करें सूर्य पूजा

सूर्य के 108 नामों का जप। मैंने अनुभव किया कि सरलतम उपायों की श्रंखला में वह लम्बी प्रक्रि या थी। इसका सरलीकरण मैं प्रिय पाठकों के लिए यहां लिख रहा हंू। नियमित रुप से नित्य एक-दो मिनट मात्र कर लेने से आप कुछ ही समय में इसका चमत्कारी प्रभाव देखेंगे।

नेत्र के कैसे भी रोग के रोगी के लिए तो यह राम बाण प्रयोग सिद्ध होता है। ख्याति, संपन्नता, ऐश्वर्य के लिए यह प्रयोग प्रत्येक साधक के लिए आवश्यक है। अनुमानत: 35 वर्ष से अधिक से मैं श्री सूर्य नमस्कार कर रहा हूं। प्रभु ने मुझे जो सुखानुभूति दी है, वह मैं शब्दों में नहीं लिख सकता हंू, ठीक गूंगे को गुड़ का स्वाद न बता पाने की मन:स्थिति की तरह।
भगवान श्री सूर्य नारायण प्रत्यक्ष देवता हैं। सृष्टि क्र म में इनका विशेष स्थान है। वैसे तो सूर्य के अनेक नाम (मंत्र) विभिन्न योग-मुद्राओं के साथ जप करने का विधान है परन्तु सरलतम उपाय है  नाड़ी शोधन करके सूर्य के 12 मंत्रों से सूर्य को अर्घ्य देना।

प्राणायाम के द्वारा जिसका नि:शेष मन धुल गया है, ऐसा मन ही ब्रह्म में स्थिति है। अत: सर्वप्रथम सूर्य के सम्मुख नाड़ी शोधन करने का प्रयास करें। ऐसा करने से ही प्राणायाम करने की शक्ति प्राप्त होती है। अपने अंगूठे से दाहिने नथुने को दबा कर बायें नथुने से अपनी शक्ति के अनुसार श्वास खीचें, फिर तुरंत बायें नथुने को दबा कर दाहिने से श्वास धीरे-धीरे बाहर निकाल दें। इसी प्रकार धीरे-धीरेे दाहिने नथुने से श्वास खींच कर पूरी तरह से फेफड़ों को वायु से भर लें और दाहिने नथुना दबा कर बायें से श्वास धीरे-धीरे बाहर फेंक दें। इस प्रकार रुक-रुक कर अपने सामर्थ्यानुसार 3, 5 अथवा अधिक आवृत्तियां पूरी करें। ध्यान को अंदर ही केंद्रित करें। कुछ ही समय में आपकी अंत: नाड़ी शुद्धि हो जाएगी।

[irp cats=”24”]

नाड़ी शोधन के बाद सूर्य देव के सम्मुख जल के किसी पात्र से 12 बार ऐसे जल छोड़ें कि सूर्य की रश्मियां जल से छन कर आपके पूरे शरीर का स्पर्श करें। प्रत्येक अर्ध्य देने से पूर्व सूर्य का एक नाम (मंत्र) जपें।
सूर्य के 12 प्रभावी मंत्र हैं –
1. मित्रय नम:  2.  रवये नम: 3.  सूर्याय नम: 4.  भानवे नम: 5. खगाय नम: 6.  पूष्णे नम: 7.  हिरण्यगर्भाय नम: 8.  मरीचये नम: 9.  आदित्याय नम: 10.  सवित्रो नम: 11.  अर्घाय नम: 12.  भास्कराय नम:।

अन्तिम मंत्र जप तथा अर्घ्य के बाद दायें हाथ की सूर्य उंगली अर्थात अनामिका से अर्घ्य से नीचे गिरे जल को स्पर्श कर अपने आज्ञा चक्र  पर लगा कर उसे चैतन्य करें। दोनों हाथों को आपस में रगड़कर उत्पन्न हुई ऊर्जा को चेहरे पर फेर कर उसे कान्तिमय बनायें। हाथों की रेखाओं को देखें। ऐसा भाव जगाएं कि सारी रेखाएं ऊर्ध्वगामी हो रही हैं। इससे सूर्य रेखा व भाग्य रेखा प्रबल होगी। जिस व्यक्ति की ये दोनों रेखाएं प्रबल हो जाएं तो फिर धनसंपदा, ऐश्वर्य, ख्याति आदि उससे कहां दूर रह जाएगी।
– गोपाल राजू (वैज्ञानिक)

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

80,337FansLike
5,552FollowersFollow
151,200SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय