Saturday, May 18, 2024

जब बच्चे के गले में कुछ फंस जाए

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अक्सर बच्चे जब छोटे होते हैं तो जिस चीज को भी हाथ में लेते हैं, सर्वप्रथम उसे अपने मुंह में डालने का प्रयास करते हैं। इसी प्रयास में कोई चीज उनके मुंह के अंदर चली जाती है और गले में अटक जाती है, जिससे बच्चे को तकलीफ होती है और वह रोने लगता है।

ऐसी स्थिति में कई मां-बाप समझ ही नहीं पाते कि वे क्या करें। आइए जानें कि इस समस्या से आप कैसे निपट सकते हैं:-
ऐसे में रोने, चिल्लाने या घबराने से कुछ हासिल नहीं होगा, उल्टे अगर जल्दी इसका निदान न किया जाए तो बच्चे के स्वास्थ्य को नुक्सान पहुंच सकता है। तुरंत गले में फंसी चीज को बाहर निकालने का प्रयास करें वरना बच्चे को सांस लेने के परेशानी हो सकती है।

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बच्चे को तुरंत अपनी गोद में लें व उसका सिर नीचे की ओर करके ठोड़ी को हाथ से पकड़ लें। उसकी कमर की धीरे से मालिश करें। अगर फिर भी गले में फंसी चीज बाहर न आए तो उसकी पीठ को थोड़ा तेज थपथपाएं।
उसके मुंह में उंगली डालें व उल्टी कराने की कोशिश करें। ऐसा करने पर भी उसके गले से चीज बाहर न निकले तो मामले को गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर से संपर्क करें।

बच्चे को केला खिलाएं। इससे गले में फंसी हुई चीज शौच के जरिए बाहर आ जाएगी।
अगर ऐसी स्थिति में बच्चा कोई आवाज न निकाले तथा उसके होंठों व त्वचा का रंग नीला पड़ जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

सावधानियां:- . टॉफी, मूंगफली, बादाम तथा पॉपकार्न वगैरह को छोटे बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए क्योंकि अगर वह इन्हें उठाएगा तो मुंह में डालेगा ही। खाने में सक्षम न होने के कारण ये पदार्थ आसानी से उसके गले में फंस जाते हैं।
उसके खेलने हेतु कोमल व नरम खिलौने खरीदें। ऐसे खिलौने उसे कदापि न दें जो प्लास्टिक के हों और जल्दी टूटने वाले हों। ऐसे खिलौने अगर कहीं से थोड़े टूट जाएं तो बच्चा उन्हें तोड़-तोड़कर मुंह में डाल देता है अत: इसका ध्यान अवश्य रखें।

कूड़ेदान को बच्चे की पहुंच से दूर रखें।
सेफ्टीपिन, आलपिन, कीलें इत्यादि यहां-वहां न रखकर एक नियत स्थान पर रखें जहां बच्चे का हाथ न जा सके।
बोतलों तथा पेनों के ढक्कन, सिक्के इत्यादि को भी उससे दूर ही रखें।
अगर आसपास पत्थर के टुकड़े हों तो ध्यान रखें कि बच्चा उन तक न पहुंच पाये।
मेकअप का सामान भी बच्चे से दूर ही रखें।

किसी भी प्रकार की दवाई को भी बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
जब उसे कुछ खिलाना हो तो स्वयं खिलाएं।
– भाषणा गुप्ता

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