मुजफ्फरनगर। कोर्ट ने नाबालिग के अपहरण के मामले में एक आरोपी को दोषी करार देते हुए सात वर्ष की कैद की सजा सुनाई है, जबकि दोषी पर 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में एक आरोपी को बरी कर दिया है। कोर्ट ने सजा पर फैसला सुनाते हुए कहा कि एक महिला नहीं बल्कि पूरे नारी समाज के खिलाफ अपराध होता है।
डीजीसी फौजदारी राजीव शर्मा एडवोकेर्ट व एडीजीसी वीरेन्द्र नागर ने बताया कि 13 साल पहले जनपद शामली के थानाभवन क्षेत्र के एक गांव से नाबालिग का अपहरण कर लिया गया था। उन्होंने बताया कि पीड़िता के नाना ने मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया था कि उसकी 15 वर्षीय युवती का अब्दुल वाहिद पुत्र जाहिद व कामिल पुत्र रिफाकत निवासी पीरवाली पट्टी भैंसानी इस्लामपुर थानाभवन द्वारा 13 अक्टूबर 2011 को बहला फुसलाकर अपहरण कर लिया गया था । इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रेक कोर्ट में हुई।
डीजीसी राजीव शर्मा ने बताया कि पुलिस ने आरोपियों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कर उनकी तलाश शुरू की थी। हाई कोर्ट के आदेश पर पीड़िता को सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट के आदेश पर हुए मैडिकल में भी पीड़िता नाबालिग पाई गई थी। घटना के मुकदमे की सुनवाई एफटीसी फर्स्ट एडीजे निशांत सिंगला ने की। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद नाबालिग के अपहरण के मामले में अब्दुल वाहिद को दोषी मानते हुए सात साल कैद की सजा सुनाई, जबकि साक्ष्य के अभाव में दूसरे आरोपी कामिल को बरी कर दिया गया। नाबालिग के अपहरण के मामले में सुनवाई करते हुए पीठासीन अधिकारी निशांत सिंगला ने कहा कि एक महिला के विरूद्ध किया गया अपराध सिर्फ पीड़िता के विरूद्ध ही नहीं होता है, बल्कि पूरे नारी समाज के विरूद्ध होता है। उन्होंने अपने निर्णय में निर्भया सामूहिक दुष्कर्म कांड का हवाला देते हुए कहा कि उक्त अपराध भी एक प्रकार से नारी समाज के विरूद्ध था।