Sunday, November 17, 2024

भारत और यूएई, दिरहम एवं रुपए में करेंगे आपसी व्यापार, मोदी के साथ बैठक में हुआ फैसला

आबू धाबी – भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने पारस्परिक व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के प्रयोग को प्रोत्साहित करने तथा एक दूसरे के यहां यात्रा करने वाले अपने नागरिकों की सुविधा के लिए दोनों देशों की राष्ट्रीय डिजिटल भुगतान प्रणालियों को जोड़ने के अहम करार पर शनिवार को हस्ताक्षर किये। दोनोें पक्षों ने आपस में व्यापक रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करने के संकल्प को दोहराया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूएई के राष्ट्रपति एवं आबूधाबी के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद उनकी मौजूदगी में दोनों पक्षों ने तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये जिनमें दोनों देशों के बीच परस्पर व्यापार स्थानीय मुद्राओं (दिरहम और रुपए) में भी करने को प्रोत्साहित करने के लिए दोनों देशों के केन्द्रीय बैंकों द्वारा फ्रेमवर्क स्थापित करने पर सहमति का करार शामिल है। दूसरा समझौता भी भारत एवं यूएई के केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों द्वारा भुगतान और संदेश प्रणाली को आपस में जोड़ने को लेकर हुआ है।

भारत एवं यूएई के बीच तीसरा करार शिक्षा के क्षेत्र में हुआ। इसके तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली यूएई के आबू धाबी में एक परिसर स्थापित करेगी।

बैठक के बाद जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि चर्चा में दोनों नेताओं ने माना कि द्विपक्षीय व्यापार में भुगतान के लिए दोनों देशों के बीच स्थानीय मुद्रा भुगतान प्रणाली विकसित करना आपसी विश्वास का प्रतिबिंब है। इसके अलावा, यह दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं की मजबूती को रेखांकित करता है तथा यूएई और भारत के बीच आर्थिक जुड़ाव को बढ़ाता है। दोनों नेताओं ने संयुक्त अरब अमीरात और भारत के बीच सीमा पार लेनदेन को अधिक कुशलता से सुलभ करने के लिए अपने त्वरित भुगतान प्रणालियों का एकीकरण करके भुगतान प्रणाली को सुगम बनाने में अपनी रुचि व्यक्त की। इसी तरह के सहयोग में राष्ट्रीय कार्ड स्विचों को आपस में जोड़कर घरेलू कार्ड योजनाओं की पारस्परिक स्वीकृति भी शामिल होगी। इन प्रणालियों के बीच एकीकरण से दोनों देशों के नागरिकों और अन्य निवासियों की भुगतान सेवाओं तक पहुंच बढ़ने से सभी को लाभ होगा।

वक्तव्य में कहा गया कि बैठक में दोनों देशों के नेताओं ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि यूएई-भारत संबंधों में सभी मोर्चों पर उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है। भारत-यूएई व्यापार 2022 में बढ़कर 85 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया जिससे यूएई वर्ष 2022-23 के लिए भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बन गया। भारत यूएई का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। फरवरी 2022 में, भारत पहला देश बन गया जिसके साथ संयुक्त अरब अमीरात ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किए। 1 मई 2022 को सीईपीए के लागू होने के बाद से द्विपक्षीय व्यापार में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

संयुक्त वक्तव्य के अनुसार दोनों नेताओं ने ऊर्जा क्षेत्र, तेल, गैस और नवीकरणीय ऊर्जा दोनों में द्विपक्षीय साझीदारी को और बढ़ाने का संकल्प लिया। दोनों पक्ष ग्रीन हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा और ग्रिड कनेक्टिविटी में अपने सहयोग को आगे बढ़ाएंगे। दोनों पक्ष भारत के रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व कार्यक्रम सहित ऊर्जा स्पेक्ट्रम में निवेश बढ़ाने पर भी सहमत हुए। नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर संयुक्त कार्य को स्वीकार किया, विशेष रूप से भारत की जी20 की अध्यक्षता और यूएई की सीओपी28 की अध्यक्षता के दौरान। उन्होंने सीओपी28 को सभी के लिए सफल बनाने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया।

दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के ढांचे के भीतर एक न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन के महत्व पर जोर दिया, जो तीन समान रूप से महत्वपूर्ण स्तंभों पर आधारित है: ऊर्जा सुरक्षा और पहुंच, आर्थिक समृद्धि, और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना, यह सब न्यायसंगत और न्यायसंगत तरीके से हासिल किया गया है। दोनों नेताओं ने विकसित देशों के लिए एक खरब अमेरिकी डॉलर वितरण योजना को पूरा करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया ताकि 2023 में लक्ष्य को पूरा किया जा सके, विश्वास कायम किया जा सके और जलवायु के चल रहे प्रभावों का मुकाबला करने के लिए विकासशील देशों को वित्तपोषण सुलभ कराया जा सके। नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों (आईएफआई) और बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) से इस वर्ष वित्तीय तंत्र में सुधार करके रियायती वित्त उपलब्ध कराने, जोखिम प्रबंधन एवं जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के उद्देश्य से विकासशील राष्ट्रों में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अतिरिक्त निजी पूंजी को आकर्षित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने का आह्वान किया।

खाद्य सुरक्षा के महत्व को पहचानते हुए, दोनों नेताओं ने खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं की विश्वसनीयता एवं लचीलेपन को बढ़ावा देने और भारत में खाद्य गलियारा परियोजनाओं सहित खाद्य एवं कृषि व्यापार का विस्तार करने के अपने संकल्प को दोहराया। यूएई पक्ष इस क्षेत्र में परियोजनाओं को शीघ्र साकार करने के लिए विभिन्न भारतीय हितधारकों के साथ अपने परामर्श को तेजी से पूरा करेगा।

संयुक्त वक्तव्य के अनुसार नेताओं ने स्वास्थ्य क्षेत्र के महत्व और द्विपक्षीय और तीसरे देशों में चल रहे स्वास्थ्य सहयोग को सक्रिय करके और इसमें विविधता लाकर सहयोग के दायरे पर प्रकाश डाला। बैठक में टीकों और दवाओं की वैश्विक स्वास्थ्य आपूर्ति श्रृंखला में एक विश्वसनीय विकल्प बनने की दोनों देशों की क्षमता पर प्रकाश डाला गया। यूएई और भारत में बढ़ते स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सहयोग के अवसरों पर भी चर्चा की गई।

बैठक में नेताओं ने भारत, यूएई और साझा पड़ोस में समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा एवं कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। वे रक्षा आदान-प्रदान, अनुभवों को साझा करने, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण को बढ़ाने पर भी सहमत हुए।

बैठक में दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सभी रूपों में सीमापार आतंकवाद सहित उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए अपनी संयुक्त प्रतिबद्धता की पुष्टि की। वे आतंकवाद, आतंकवादी वित्तपोषण और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा करने पर सहमत हुए। इस संदर्भ में, उन्होंने लोगों के बीच शांति, संयम, सह-अस्तित्व और सहिष्णुता के मूल्यों को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया और सभी प्रकार के उग्रवाद, घृणास्पद भाषण, भेदभाव और उत्तेजना को त्यागने की आवश्यकता पर बल दिया।

दोनों नेताओं ने बहुपक्षवाद के महत्व पर जोर दिया और न्यायपूर्ण, नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया। दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मामलों पर दोनों पक्षों के बीच समन्वय पर भी संतोष व्यक्त किया, खासकर 2022 में, जब दोनों देशों ने सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्यों के रूप में कार्य किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सुरक्षा परिषद के निर्वाचित सदस्य के रूप में यूएई के कार्यकाल के दौरान यूएई की उपलब्धियों की सराहना की। यूएई ने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे के प्रति अपना समर्थन दोहराया।

श्री मोदी ने यूएई के राष्ट्रपति को नौ एवं 10 सितंबर को नयी दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में आने का भी न्यौता दिया।

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