Monday, December 23, 2024

महिला सुरक्षा को लेकर अपनी सरकार को किया कटघरे में खड़ा, राजस्थान के मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा बर्खास्त

जयपुर । राजस्थान विधानसभा में मणिपुर मामले को लेकर गहलोत सरकार के समर्थक विधायकों की ओर से किए गए विरोध के बीच सरकार को महिला सुरक्षा के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा करने वाले सैनिक कल्याण मंत्री को शुक्रवार की शाम पद से बर्खास्त कर दिया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अनुशंसा पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त करने के आदेश जारी किए। गहलोत ने शुक्रवार शाम को ही राज्यपाल को यह अभिशंसा भेजी थी। जिसे स्वीकार करते हुए राज्यपाल ने यह आदेश जारी किए। मंत्री गुढ़ा को बर्खास्त करने के मामले में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने तीखा हमला बोला है।

गुढ़ा लगातार अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे थे। गुढ़ा ने शुक्रवार को विधानसभा में न्यूनतम आय गारंटी बिल पर बहस के दौरान अपनी ही सरकार पर महिला सुरक्षा में फेल होने का आरोप लगाया था। मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने तख्तियां लहराई थीं। इस पर गुढ़ा ने कहा कि राजस्थान में इस बात में सच्चाई है कि हम महिलाओं की सुरक्षा में विफल हो गए हैं। राजस्थान में जिस तरह से महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं, ऐसे में हमें मणिपुर की बजाय अपने गिरेबां में झांकना चाहिए।

मंत्री गुढ़ा के आरोप पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा था कि सरकार संविधान के आर्टिकल 164(2) के तहत सामूहिक जिम्मेदारी से चलती है। हमारे संविधान में लिखा है कि सरकार का एक मंत्री बोलता है तो इसका मतलब पूरी सरकार बोल रही है। मंत्री ने सरकार की कलई खोल दी है। मैं उनको बधाई दूंगा, लेकिन यह शर्मनाक बात है। राजेंद्र गुढ़ा पिछले करीब एक साल से पार्टी लाइन से अलग जाकर कई बार बयान दे चुके थे। पार्टी में एक्शन लेने के लिए शुक्रवार को सबसे बड़ा आधार तय हो गया था। गुढ़ा ने मणिपुर मामले की जगह राजस्थान सरकार को अपने गिरेबां में झांकने की सलाह देकर विवाद बढ़ा दिया। गुढ़ा के विधानसभा में दिए बयान को भाजपा ने आधार बनाकर मणिपुर के काउंटर में पेश करना शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने तत्काल दिल्ली रिपोर्ट भेजी, हाईकमान से बात की। साथ ही गहलोत ने भी हाईकमान से सलाह ली, इसके बाद ग्रीन सिग्नल मिलते ही गुढ़ा के विधानसभा में दिए बयान के कुछ ही देर बाद उन्हें बर्खास्त करने की फाइल राजभवन भिजवा दी।

राजेंद्र गुढ़ा समेत सभी छह बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय हो गया था। इससे पहले भी 2009 में गहलोत सरकार के समय गुढ़ा सहित सभी बसपा विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। पेपर लीक के खिलाफ सचिन पायलट की अजमेर से जयपुर यात्रा के समापन के दिन 15 मई को राजेंद्र गुढ़ा ने सरकार पर खुलकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। गुढ़ा ने कहा था कि हमारी सरकार भ्रष्टाचार में डूबी है, भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सरकार का अलाइनमेंट खराब है। गुढ़ा अब तक बीएसपी के टिकट पर उदयपुरवाटी से चुनाव लड़कर जीते हैं। ऐसे में इस बार भी यह तय माना जा रहा है कि वे कांग्रेस से चुनाव नहीं लड़ेंगे। गुढ़ा ने पिछले दिनों जयपुर में ओवैसी से मुलाकात की थी।

राजेंद्र गुढ़ा सीएम अशोक गहलोत के कट्टर समर्थक थे, लेकिन डेढ़ साल पहले से उनकी सीएम से दूरियां बननी शुरू हो गई थीं। गुढ़ा पायलट के नजदीक आए और पिछले सवा साल से वे लगातार पायलट के समर्थन में थे। सरकार और सीएम के खिलाफ उन्होंने जमकर बयानबाजी की थी। गहलोत की पिछली सरकार के वक्त राजेंद्र गुढ़ा ने ही खुद सहित छह बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय कराने में बड़ा रोल निभाया था। साल 2018 में भी गहलोत सरकार बनते ही गुढ़ा सहित सभी छहों बसपा से आने वाले विधायकों ने गहलोत सरकार को समर्थन दिया था। बाद में सितंबर 2019 में सभी छह विधायकों ने कांग्रेस में विलय कर दिया था। विलय के बाद लंबे समय तक बसपा से कांग्रेस में आने वाले छह विधायकों को पद नहीं दिए थे। नाराजगी बढ़ने का यह भी बड़ा कारण था। नवंबर 2021 में राजेंद्र गुढ़ा को राज्य मंत्री बनाया था। राज्य मंत्री बनाए जाने से नाराज थे, इस वजह से उन्होंने लंबे समय तक सचिवालय में चार्ज तक नहीं लिया था। राजेंद्र गुढ़ा गहलोत के पिछले कार्यकाल में भी राज्य मंत्री थे, इसलिए वे इससे नाराज थे।

स्वागत है किसी ने सत्य बोलने का साहस किया : शेखावत

राजस्थान में बढ़ रहे महिला अत्याचार पर विधानसभा में सरकार के ही ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा के बयान का केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि अभिनंदन है उनका, आखिर किसी ने तो सत्य बोलने का साहस राजस्थान में किया। शुक्रवार शाम भाजपा कार्यालय में मीडिया से बातचीत में केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि जिस तरह के हालात राजस्थान में हैं, वे किसी से छिपे नहीं हैं।

मुख्यमंत्री के गृहनगर में विश्वविद्यालय में नाबालिग बालिका के साथ बलात्कार होता है, गैंगरेप होता है। मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में सात साल की अबोध बालिका के साथ कई बार यौन दुराचार होता है। उन्हीं के गृह जिले में दलित के साथ अत्याचार होता है। निरपराध लोगों को रात को गला रेत कर मार दिया जाता है।

शेखावत ने गहलोत सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि मारवाड़ी में एक कहावत है कि लारै बलती तो दीखै कोनी, डूंगर बलती दीखै, यानी मुख्यमंत्री के अपने गृह जिले में हो रहे हालात उन्हें दिखाई नहीं दे रहे और टिप्पणी वे दूसरे राज्यों की करते हैं।

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