यह ठीक है कि लड़की के माता-पिता अपने बराबर के या फिर कहीं उच्च स्तर व आय वाले युवक से अपनी लड़की का रिश्ता जोडऩा चाहते हैं ताकि उनकी लड़की किसी अच्छे खानदान की पुत्रवधू बन कर सुखी रहे लेकिन घर-बार, स्टैन्डर्ड, स्मार्टनेस, आय, आर्थिक स्थिति, जोग-संजोग सब एक साथ नहीं मिल पाते हैं। कहीं न कहीं तो परिस्थितियों से समझौता करना ही पड़ता है।
आजकल हर घर परिवार में लोग अपनी लड़कियों को पढ़ा लिखा कर उन्हें अपने पांवों पर खड़ा करने में लगे हैं, चूंकि जमाना ही कुछ ऐसा है। पता नहीं दोनों के दांपत्य जीवन में कब-खटास पैदा होने लगे लेकिन हर माता-पिता जो इस संबंध में सकारात्मक सोच रखते हैं, उन्हें अपनी जवां होती बेटी की उम्र के प्रति भी गंभीर होने की नितांत आवश्यकता है। केवल जोड़ का वर, ऑफिसर, इंजीनियर, डाक्टर व उच्च अधिकारियों के चश्चर में ही पड़कर जवान बेटी के अरमानों का गला घोंटने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
अच्छा तो यही है कि जो माता-पिता व भाई अपने परिवार में अपनी जवान होती बेटी, बहन के प्रति ऐसे ख्वाब देख रहे हैं, उन्हें यह बात दिमाग से निकालनी होगी। कोई गारंटी नहीं है कि आफिसर के साथ ब्याही आपकी बेटी सुखी ही रहेगी। कई बार साधारण परिवारों में मामूली क्लर्क या अध्यापक के साथ परिणय-सूत्रों में बंधी लड़कियां काफी खुश नजर आती है जहां उनके मान-सम्मान में कोई कमी नहीं और पति का भरपूर प्यार भी उन्हें मिलता है।
वर्तमान परिस्थितियां जबकि समय चक्र -तेजी से बदल रहा है व आप भी किसी जवां होती बेटी के माता-पिता अथवा बहन के भाई हों तो दृढ़ निश्चयी व पूरे आत्मविश्वास व कृत संकल्प के साथ लड़की की भावनाओं को समझें, व ईश्वर पर भरोसा कर उसे दांपत्य जीवन का सुख भोगने का अवसर प्रदान कर, समाज व परिवार में आदर्श उदाहरण जिम्मेदारीपूर्वक प्रस्तुत करें।
इससे न केवल आपकी जिम्मेदारी पूरी होगी, बल्कि लड़की की सुखद भावनाएं व अपनत्व भी आपके साथ रहेगा। उसे लगेगा कि मेरे परिवार ने अपना फर्ज पूरी तरह से निभाया है व लोगों को उपहास उड़ाने का कोई मौका नहीं दिया है।
– चेतन चौहान