मथुरा। पहले पति नहीं रहे, फिर बेटा दुनिया से अलविदा हुआ। गम की गति यहीं नहीं थमीं, बेटी का तलाक हो गया। जब न्याय को कान्हा की चौखट चुनी तो हाथ से पुश्तैनी कोठी चली गई। अब पंजाब की मां-बेटी कान्हा की चौखट पर (मथुरा) न्याय की आस लगाए बैठी हैं। जिंदगी में अब कान्हा के अलावा कोई सहारा नहीं है। दोनों मानसिक रुप से बेहद परेशान हैं।
कहानी है पंजाब की डाॅ. नीलम नन्दराज एवं बेटी डाॅ. जागृति की। ये दोनों पंजाब के फिरोजपुर जिले के माल रोड की मूल निवासिनी हैं। वो फिलहाल जैंत स्थित अनंतम सिटी में कृष्णभक्ति में लीन है। डाॅ. नीलम नन्दराज ने बताया कि उनके पति डाॅ. धर्मपाल जो कि कुरुक्षेत्र में प्राचार्य रहे। शिक्षक संघ के प्रदेश प्रधान भी रहे। वहीं डाॅ. नीलम स्वयं भी सलाहकार रहीं। उनका एक बेटा अंकुर एवं बेटी जागृति है। ड्यूटी के दौरान सन् 1996 में बीमारी के चलते उनके पति नहीं रहे, फिर उनका बेटा अंकुर सन 2010 में दुनिया से चल बसा। दुखों के पहाड़ यहीं नहीं थमें इकलौती शिक्षक बेटी का तलाक हो गया। इसके बाद मां बेटी के कंधे से सबका हाथ उठ गया। मुसीबत देख सभी रिश्तेदारों ने भी मुंह मोड़ लिया। दुनिया में चहुंओर अंधेरा देख, उन्हें कान्हा की नगरी में रोशनी नजर आई।
सन् 2019 में कोविड से पहले मां बेटी कान्हा की चौखट पर आ पहुंची। डलिया में ठाकुर जी को बैठाकर उन्हे ही सब कुछ मान लिया है। उनकी सेवा, उनके दर्शन ही जीवन की दिनचर्या बन गई। डाॅ. नीलम ने आरोप लगतो हुए बताया कि खाई गांव के एक व्यक्ति ने उनसे 250 वर्ग गज का बैनामा कराया उसका भी पूरा पैसा नहीं दिया, चैक बांउस हो गए। मगर बची 250 वर्ग गज बची हुई कोठी पर जबरन कब्जा कर लिया है।
डाॅ. नीलम ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं एसएसपी को लिखे पत्र में अपनी पूरी व्यथा बयां की है। उन्होंने उक्त व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग करते हुए कोठी की वापसी की मांग की है। उसने नीलम के घर का ताला तोड़कर घर में रखा हुआ लाखों का सामान भी बेंच दिया। अब डाॅ. नीलम एवं उनकी बेटी दोनों कान्हा की भक्ति में लीन हैं। जब भी वो अपनी दास्तां किसी को सुनाती हैं तो वो फूट-फूट कर रोने लगती हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री यूपी एवं पंजाब, जिलाधिकारी, एसएसपी सहित सभी आलाधिकारियों को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। दोनों मां-बेटी दंबगों के चलते घर जाने से घबरा रही हैं, उन्हें जान का खतरा बना हुआ है।
वहीं डा नीलम ने बताया कि यहां सैकड़ों संस्थाएं हैं, कथा वाचक एवं समाज सुधारक, समाजसेवी हैं मगर सत्यता ये है कि अधिकांश की कथनी करनी में जमी आसमान का अंतर है। उन्हें कोई शरण नहीं दे रहा है। वो भी बेहद परेशान हैं। उन्होंने योगी सरकार से भी न्याय एवं सुरक्षा की मांग की है।