जैसा मन, वैसा तन। जब कोई बूढ़ा न होने की ठान लेता है तो वह चिर युवा बना रहता है और अंत तक सक्रिय व सक्षम भी। वस्तुत: मनुष्य उतना ही बूढ़ा या जवान है जितना वह अनुभव करता है। बुढ़ापा तन का नहीं, मन का होता है। मन जवां तो तन जवां।
आप की सोच इस दिशा में सबसे महत्त्वपूर्ण है अत: सोच में सकारात्मक परिवर्तन द्वारा सदैव युवा बने रहें और सक्रिय जीवन व्यतीत करें। वैसे भी यदि आप सक्रिय जीवन व्यतीत करते हैं तो बुढ़ापा पास नहीं फटकता। निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखकर आप बढ़ती उम्र के अहसास से मुक्त होकर अत्यंत सक्रिय जीवन व्यतीत कर सकते हैं: अपनी दिनचर्या को नियमित रखें तथा समय पर सब काम पूरे करें। पर्याप्त नींद लें। अधिक सोना और कम सोना दोनों ही अच्छे स्वास्थ्य के शत्रु हैं।
पर्याप्त आराम करें। थक जाने पर आराम जरूरी है लेकिन थकान भी जरूरी है ताकि आराम किया जा सके। थकान के बिना आराम का कोई मतलब नहीं, इसलिए शारीरिक श्रम जरूरी है।
शारीरिक श्रम अथवा क्रियाशीलता के लिए निम्नलिखित उपायों पर ध्यान दें:
क) नियमित रूप से व्यायाम तथा सैर करें।
ख) घर की साफ-सफाई और अपने काम खुद करें।
ग) पेड़-पौधे लगाएं और उनकी देखभाल खुद करें। बागबानी स्वयं में एक उपचार पद्धति ही है।
पालतू जानवरों का स्पर्श और साहचर्य भी उपचारक होता है क्योंकि वे व्यक्ति को न केवल सक्रि य रखते हैं अपितु तनावमुक्त करने में भी सहायक होते हैं इसलिए इस बारे में भी सोचा जा सकता है।
नजदीक आने-जाने के लिए वाहन का प्रयोग करने के बजाए पैदल आएं-जाएं।
अपना छोटा-मोटा सामान खुद उठाएं और पैदल चलकर घर आएं। सीढिय़ों पर बार-बार चढऩे-उतरने और इधर-उधर आने-जाने को परेशानी का कारण न मानें अपितु इसे व्यायाम के रूप में लें।
हंसना न केवल एक अच्छा व्यायाम और उपचारक क्रि या है अपितु तनावमुक्ति का साधन भी है। खूब ठहाके लगाइए।
मन को सकारात्मक विचारों से ओतप्रोत रखें। इसके लिए नियमित रूप से प्रेरणास्पद साहित्य पढ़ें।
आत्मविश्वास से भरपूर रहें। विषम परिस्थितियों में अपने मनोबल को ऊंचा बनाए रखें।
भावनात्मक संतुलन बनाए रखें। छोटी-छोटी बातों पर भावुक न हों।
मानसिक रूप से चुस्त-दुरूस्त बने रहने के लिए दिमागी कसरत करते रहें। वर्ग-पहेली भरने अथवा गणित के सवाल निकालने से व्यक्ति दिमागी तौर पर अधिक सक्रिय रहता है।
भोजन के संबंध में विशेष रूप से सतर्क रहें। फास्ट फूड व जंक फूड की बजाए सादा व प्राकृतिक भोजन ही लें। भोजन में ताजा फल-सब्जियों की मात्रा अधिक होनी चाहिए ताकि पर्याप्त मात्रा में एंटीआक्सीडेंट मिल सकें।
दीपक चोपड़ा कहते हैं कि बढ़ती उम्र के अहसास को परिवर्तित करके, विषाक्त मनोभावों तथा आदतों से छुटकारा पाकर जीवन में सक्रियता अथवा क्रियाशीलता बनाए रखकर, जीवन में लचीला होने की विधि सीखकर तथा अपने जीवन से प्रेम को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व बनाकर हम सदैव युवा बने रह सकते हैं।
बुढ़ापे से बचने तथा चिरयुवा बने रहने के लिए मन में नियमित रूप से निम्नलिखित स्वीकारोक्तियां करें:
मैं एकदम युवा हूं और मेरा स्वास्थ्य बहुत अच्छा है।
प्रतिदिन हर तरह से मैं अधिकाधिक स्वस्थ हो रहा हूं।
निर्भय होकर मैं अत्यंत सक्रि य, साहसी तथा अनुशासित जीवन व्यतीत कर रहा हूं।
मेरी प्रकृति में लचीलापन है तथा मैं जीवन में परिवर्तनों तथा चुनौतियों को स्वीकार करता हूं। मैं आत्म विश्वास तथा उत्साह से परिपूर्ण हूं।
मैं विषाक्त मनोभावों तथा आदतों से मुक्त हूं।
नकारात्मक विचारों तथा नकारात्मक सुझावों का मेरे ऊपर तथा मेरे मन के किसी भी स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। प्रेम, करूणा तथा देखभाल मेरे जीवन के महत्त्वपूर्ण तत्व हैं।
जीवन मेरे लिए एक अमूल्य उपहार है तथा मैं पूर्ण सचेतनता के साथ जीवन का आनंद उठाता हूं।
– सीताराम गुप्ता